10 हजार तक खर्च होते हैं प्राइवेट में फेको सर्जरी में

1500 से 50 हजार तक है प्राइवेट में फेको लेंस की कीमत

मुफ्त मिलता है गवर्नमेंट हॉस्पिटल में फेको का लाभ

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-ट्रेनिंग लेकर लौटे डॉक्टर, मरीजों को मिल रहा है बेनेफिट

PRAYAGRAJ: मोतियाबिंद की फेको सर्जरी के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल के चक्कर लगाने वालों के लिए राहत की खबर है। बेली हॉस्पिटल में इस सर्जरी की शुरुआत हो गई है। हाल ही में ट्रेनिंग लेकर आए डॉक्टर ने फेको सर्जरी शुरू कर दी है। इससे मरीजों को फायदा होने के साथ एमएलएन मेडिकल कॉलेज पर लगातार बढ़ रहा दबाव भी कम होगा।

मशीन थी लेकिन नहीं थे सर्जन

बेली हॉस्पिटल में पिछले साल तक फेको सर्जरी की मशीन तो थी लेकिन सर्जन मौजूद नहीं थे। इसके बाद गवर्नमेंट ने नेत्र विभाग के एचओडी डॉ। एमके अखौरी को ट्रेनिंग पर भेजा। हाल ही में लौटने के बाद उन्होंने फेको सर्जरी से मोतियाबिंद का ऑपरेशन शुरू कर दिया है। हालांकि फिलहाल वह अकेले ही इस तकनीक का यूज कर रहे हैं। बाकी डॉक्टर्स को भी इस तरह की ट्रेनिंग देने की जरूरत है। बता दें कि प्राइवेट हॉस्पिटल में फेको सर्जरी के आठ से 10 हजार रुपए खर्च होते हैं। जबकि सरकारी हॉस्पिटल में यह सर्जरी पूरी तरह से फ्री होती है।

लेंस सप्लाई शुरू हो तो और होगा बेहतर

फेको सर्जरी जरूर शुरू हो गई है लेकिन सरकार की ओर से इसके मुताबिक लेंस की सप्लाई नहीं हो रही है। जैसे-तैसे हॉस्पिटल प्रशासन इस सर्जरी को अंजाम दे रहा है। डॉक्टर्स का कहना है कि फेको विधि का लेंस उपलब्ध करा दिया जाए तो मरीजों को इस सुविधा का अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। मार्केट में फेको सर्जरी के लेंस की कीमत 1500 से लेकर 50000 रुपए तक है। इसे खरीदना हर मरीज के बस की बात नहीं है। फिलहाल फेको विधि से आंखों के आपरेशन मेडिकल कॉलेज के मनोहरदास क्षेत्रीय नेत्र चिकित्सालय में किए जा रहे हैं। जहां बड़ी संख्या में रोजाना मरीज पहुंचते हैं।

टारगेट पूरा कर चुका है हॉस्पिटल

बेली हॉस्पिटल को इस साल ठंड के सीजन में 1800 मोतियाबिंद ऑपरेशन का लक्ष्य दिया गया था जो पूरा हो चुका है। हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि मार्च के अंत तक सर्जरी की संख्या काफी अधिक हो सकती है। आंकड़ों पर जाएं तो प्रतिदिन 25 से 30 सर्जरी की जा रही है। अगर अन्य सर्जन को भी फेको की ट्रेनिंग दे दी जाए तो कुल लक्ष्य में अधिक प्रतिशत हो सकता है।

बेली हॉस्पिटल में फेको विधि से सर्जरी शुरू हो चुकी है। लेकिन अभी लेंस की किल्लत है। अगर सप्लाई में फेको लेंस मिल जाएं तो मरीजों का अधिक भला हो सकता है। वर्तमान में दोनों प्रकार की सर्जरी को अंजाम दिया जा रहा है।

-डॉ। एमके अखौरी, एचओडी, नेत्र विभाग बेली हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive