-फाइलेरिया की दवा खिलाने के लिए स्कूलों में नहीं जा सकीं टीमें

PRAYAGRAJ: फाइलेरिया अभियान के दूसरे चरण में स्कूली बच्चे दवाओं का सेवन करने से वंचित हो रहे हैं। 19 दिसंबर से स्कूल बंद हो जाने से टीमों को अब केवल घरों का सहारा रह गया है। गौरतलब है कि इसके लिए स्कूलों पर अधिक फोकस करने का आदेश दिया गया था। उधर, शहर के हालात के मद्देनजर यह अभियान भी प्रभावित हो रहा है। जिससे स्वास्थ्य विभाग पर तय लक्ष्य से पीछे रह जाने का खतरा मंडराने लगा है।

चार दिन और चलेगा अभियान

फाइलेरिया की दवा खिलाने के अभियान का दूसरा चरण 16 से 24 दिसंबर के बीच चलाया जाना था। अभी यह शुरू हुआ था कि स्कूलों को ठंड के चलते बंद कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे में टीमों को घर-घर जाकर दवा पिलाने के आदेश दिए हैं। बता दें कि 62 लाख 34 हजार लोगों को दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिस लक्ष्य को पूरा करना आसान नही है। पहले ही शहर में 200 आशाओं को इस काम में लगाया गया था। इनमे से प्रत्येक को एक दिन में 25 घर पूरा करने को कहा गया है।

क्या है फाइलेरिया

अगर जननांग में सूजन, बुखार आना, शरीर में खुजली होना, हाथी पांव होना, अंडकोश में सूजन आदि लक्षण दिख रहे हैं तो होशियार हो जाना चाहिए। यह फाइलेरिया के लक्षण हो सकते हैं। अधिकांश मरीजों में इस बीमारी का संक्रमण बचपन से हो जाता है। लेकिन कई वर्षो तक लक्षण पता नही चल पाते हैं। इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने अभियान चलाया है। बता दें कि फाइलेरिया ग्रसित मरीज को डबल ड्रग के जरिए ठीक होने में 5 से 6 वर्ष लग जाते हैं। एनएचएम नोडल अधिकारी डॉ। सतेंद्र राय का कहना है कि सभी टीमों को अधिक से अधिक घरों में जाने का आदेश दिया गया है। जिसके जरिए बच्चों की भी अधिक संख्या को कवर किया जा सके।

Posted By: Inextlive