उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट 31 जनवरी तक का मौका दिया है। कुछ वकीलों ने याचिका दाखिल करके सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार के इंटरनेट बंद करने के निर्णय से हाईकोर्ट में न्यायिक कार्य बाधित हुआ।


प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने का क्या कानूनी उपबंध है? किन परिस्थितियों में इंटरनेट सेवाएं सरकार निलंबित कर सकती है? कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि सरकार इंटरनेट सेवा रोकने की असामान्य शक्तियों का इस्तेमाल कब कर सकती है? इस मामले में कोर्ट ने 31 जनवरी तक राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है।प्रयागराज में तीन दिन बंद था इंटरनेटयह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने दिसंबर माह में सीएए के विरोध के चलते प्रयागराज में इंटरनेट सेवा तीन दिन तक बंद रखने से हाईकोर्ट की कार्यप्रणाली के प्रभावित होने पर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। उस समय कुछ वकीलों ने इंटरनेट सेवा ठप होने की तरफ कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कर निर्देश जारी करने की मांग की थी।सरकारी निर्णय से न्यायिक कार्य बाधित
आरोप लगाया था कि इस सरकारी निर्णय से हाईकोर्ट के न्यायिक कार्य में अवरोध उत्पन्न किया गया है। जिस पर कोर्ट ने जनहित याचिका कायम कर राज्य सरकार से जानकारी मांगी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नियम कानून उपबंधों सहित इंटरनेट सेवा निलंबित रखने की परिस्थितियों के विस्तृत ब्यौरे के साथ हलफनामा दाखिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी कर दिया है।prayagraj@inext.co.in

Posted By: Prayagraj Desk