हाईकोर्ट ने कहा, बाढ़ के उच्च बिंदु से 500 मीटर तक निर्माण पर रोक सभी प्राधिकारियों पर बाध्यकारी

गंगा भवन को ध्वस्त कर हो रहे निर्माण के खिलाफ दाखिल हुई याचिका

कुंभ मेला प्राधिकरण व राज्य सरकार से जवाब तलब, अनी अखाड़ा महंत को नोटिस

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हाई कोर्ट ने अपनी रोक हटायी नहीं है। कोर्ट का फैसला सभी पर बाध्यकारी है। फैसला है कि बाढ़ के उच्चतम बिंदु से पांच सौ मीटर की दूरी पर कोई स्थायी निर्माण नहीं कराया जायेगा। इसके बाद भी स्थायी निर्माण कैसे कराया जा रहा है। किसने इसकी परमिशन दी है। यदि परमिशन नहीं दी गयी है तो स्थायी निर्माण के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी गुरुवार को स्थायी निर्माण को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। कोर्ट ने कहा कि यदि आदेश अभी भी प्रभावी है तो अथॉरिटीज उसका पालन करने के लिए बाध्य हैं। कोर्ट ने प्राइवेट विवाद पर विचार न करते हुए अखिल भारतीय श्रीपंचायती निर्वाणी अनी अखाड़ा हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत धर्मदास व दो अन्य विपक्षियों को नोटिस जारी की है। राज्य सरकार, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण, कुंभ मेला प्राधिकरण सहित विपक्षियों से चार हफ्ते में इस पर जवाब मांगा है। याचिका पर सुनवाई 28 जनवरी को होगी।

नक्शा भी पास नहीं कराया

यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल तथा जस्टिस प्रकाश पाडि़या की खण्डपीठ ने दारागंज निवासी भालचन्द्र जोशी व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अन्तरिक्ष वर्मा व विजय चन्द्र श्रीवास्तव ने बहस की। याची का कहना है कि दारागंज स्थित गंगा भवन को अखाड़ा के महन्त ने खरीद लिया। पुराने भवन को ध्वस्त करा दिया गया और बिना नक्शा पास कराये हाईकोर्ट की रोक के विपरीत नया भवन निर्माण करा रहे हैं। याची का यह भी कहना है कि गंगा प्रदूषण मामले में हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल 2011 को गंगा से 500 मीटर के क्षेत्र में स्थायी निर्माण पर रोक लगा रखी है। इसके विपरीत अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण किया जा रहा है।

24 को जारी हो चुका शासनादेश

कुंभ मेला प्राधिकरण की तरफ से अधिवक्ता कार्तिकेय सरन ने पक्ष रखा। राज्य सरकार के अधिवक्ता ने 24 अप्रैल 2018 का शासनादेश पेश किया। इसमें सभी संस्था व विभागों को बाढ़ जल स्तर के अधिकतम बिंदु के दृष्टिगत व नियमों, आदेशों का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की स्थायी निर्माण पर लगी रोक बरकरार है तो सभी प्राधिकारियों को इसका पालन करना बाध्यकारी है। कोर्ट ने कहा कि प्राइवेट विवाद पर विचार किये बगैर की गयी कोर्ट की टिप्पणी लंबित किसी भी कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं डालेगी।

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सरकारी इमारत भी हो चुकी खड़ी

बता दें कि रोक लागू होने के बाद नियमों को नजरअंदाज कर मेला क्षेत्र में तीन मंजिल का स्थायी निर्माण खुद प्रशासन करा चुका है। पिछले महीने की 16 तारीख को खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका इनॉगरेश किया था। इसके ग्राउंड फ्लोर पर कुंभ मेला प्राधिकरण का ऑफिस है। फ‌र्स्ट फ्लोर पर इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया गया है। सेकंड फ्लोर पर स्मार्ट सिटी का ऑफिस बनाया गया है। हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद सरकारी निर्माण भी सवालों के घेरे में आ गया है।

क्या है हाई कोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल 2011 को यह महत्वपूर्ण फैसला दिया था

इसके अनुसार बाढ़ के उच्चतम बिंदु के बाद 500 मीटर के क्षेत्र में कोई स्थायी निर्माण नहीं कराया जाएगा

यानी विकास प्राधिकरण इस एरिया में निर्माण के लिए कोई नक्शा पास नहीं करेगा

24 अप्रैल 2018 को शासनादेश जारी करके सरकार ने सभी संस्था व विभागों को बाढ़ जल स्तर के अधिकतम बिंदु के दृष्टिगत व नियमों, आदेशों का पालन करने का आदेश दिया है

इस आदेश के बाद शहर में बाढ़ के उच्चतम बिंदु की मार्किंग हो चुकी है

Posted By: Inextlive