हाई कोर्ट पहुंचा था जन्मतिथि चेंज कराने की अनुमति मांगने, कोर्ट ने निरस्त की मांग

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इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे थे गुहार लगाने कि पासपोर्ट पर दर्ज डेट ऑफ बर्थ को चेंज करने का निर्देश जारी किया गया। सपोर्ट में डाक्यूमेंट लगाया था हाई स्कूल की मार्कशीट। कोर्ट में बहस के दौरान मामला फंस गया। कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी का कृत्य मानते हुए आवेदक के खिलाफ कि क्रिमिनल एक्शन का आदेश दे दिया। कोर्ट ने पासपोर्ट में जन्म तारीख में सुधार की मांग को निरस्त करते हुए याचिका खारिज कर दी है।

पहले 5वीं बाद में 10वीं की मार्कशीट

यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अजीत कुमार की बेंच ने चंदन जायसवाल की याचिका पर दिया है। याचिका पर केंद्र सरकार की अधिवक्ता सीमा सिंह ने प्रतिवाद किया। याची ने 2014 में स्वयं को कक्षा पांच पास बताते हुए पासपोर्ट बनवाया। जो 10 साल के लिए वैध है। इस पासपोर्ट में याची ने अपनी जन्म तारीख चार अगस्त 1993 बताई। फिर बाद में इसी जन्म तारीख को यह कहते हुए संशोधित करने की मांग किया कि वह हाईस्कूल पास है। उसकी असली जन्म तारीख आठ जून 1997 है। वह पासपोर्ट जारी करते समय नाबालिग था। उसे पांच वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी करने और उसका नवीनीकरण कराने का अधिकार प्राप्त है। पासपोर्ट कानून के तहत बालिग को 10 साल और नाबालिग को पांच साल के लिए पासपोर्ट जारी किया जा सकता है। याची ने स्वयं कहा कि वह पांचवीं कक्षा तक पढ़ा है। फिर हाईस्कूल के प्रमाणपत्र के आधार पर अपनी जन्म तारीख में बदलाव करना चाहता है। यह धोखा है और विभाग को ऐसे धोखे के मामले में अपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए।

Posted By: Inextlive