विजय पाल सिंह तोमर व कई अन्य की जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने दिया आदेश

पार्क की घटना एवं अवैध कब्जे पर कार्यवाही नहीं होने की जांच के लिए कमेटी गठित करने का आदेश

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा, जवाहर बाग पार्क पर अवैध कब्जे हटाने में 28 लोगों की मौत की घटना की जांच सीबीआई को सौंप दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को मामले की पूरी पत्रावली तत्काल सीबीआई को सुपुर्द करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को दो जांच टीम गठित कर जांच नए सिरे से शुरू करने का निर्देश दिया है। साथ ही नए सिरे से रिपोर्ट पेश होने तक पुलिस चार्जशीट पर आपराधिक मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सील कवर लिफाफे में पेश करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 2 मई नियत की है।

गठित होंगी दो कमेटियां

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने विजय पाल सिंह तोमर व कई अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई की गठित पहली जांच टीम 2 जून 2016 को जवाहर बाग पार्क को खाली कराने के घटना की जांच करे और नए सिरे से रिपोर्ट पेश करे। दूसरी टीम दो वर्ष तक भारी समर्थकों के साथ पार्क पर मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव के अवैध कब्जा कायम रहने की जांच करे।

अधिकारियों को चिन्हित करें

कोर्ट ने कहा है कि उन अधिकारियों को चिन्हित किया जाए जिन्होंने इंटेलीजेंस एवं जिला प्रशासन की ओर से राज्य सरकार को भेजे गए पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं की। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया है कि संबंधित सभी रिकार्ड सीबीआई टीम को उपलब्ध कराया जाए, ताकि कर्तव्य का पालन करने में लापरवाही बरतने वालों की पहचान कर उन पर कार्यवाही की जा सके। कोर्ट ने सीबीआई को दो माह का समय दिया है और कहा है कि वह अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में सील कवर लिफाफे में पेश करे। सभी याचिकाओं की पुन: सुनवाई 2 मई को होगी।

पुलिस विवेचना में कई खामियां

कोर्ट ने कहा है कि पुलिस विवेचना एवं रिपोर्ट में भारी खामियां हैं। महाधिवक्ता ने स्वयं ही एसआईटी जांच को स्वीकार किया है। पुलिस चार्जशीट व विवेचना के तरीके से स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ घटना में लिप्त होने का पर्याप्त साक्ष्य है और अभियोजन पक्ष 28 मौतों में दो पुलिस अधिकारियों के हत्यारों सहित सभी की मौत के दोषियों को सजा दिला पाएगा। कोर्ट ने सभी तथ्यों एवं पुलिस की लचर विवेचना को देखते हुए घटना के पीछे का सच जानने के लिए भी नए सिरे से जांच को जरूरी माना और कहा कि पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच कराया जाना जरूरी है।

लपेटे में आएंगे कई अधिकारी

कोर्ट ने महाधिवक्ता की याचिकाकर्ता के राजनैतिक दल से जुड़े होने तथा बिना ठोस तथ्य के दाखिल याचिका की पोषणीयता पर उठाए गए सवालों को यह कहते हुए नहीं माना कि कई याचिकाएं ऐसी ही मांगों को लेकर दाखिल की गई हैं। ऐसे में पोषणीयता पर आपत्ति स्वीकार होने योग्य नहीं है। कोर्ट के इस आदेश से जवाहर बाग पार्क पर दो वर्षो तक अवैध कब्जे के पीछे कार्यवाही करने में लापरवाह अधिकारी को भी लपेटे में आएंगे।

चला रहा था अपनी सरकार

मालूम हो कि 2014 में रामवृक्ष यादव ने बाबा जय गुरुदेव की वरासत को लेकर धरने के लिए पार्क पर अवैध कब्जा किया। लगातार समर्थकों की तादात बढ़ती गई। उसने अपनी सरकार बना ली। पार्क के अधिकारियों को मारपीट कर खदेड़ दिया। सैकड़ों पेड़ काट दिए गए। स्थायी बस्ती तैयार हो गई। साढ़े तीन हजार से अधिक स्त्री-पुरुष व बच्चे निवास करने लगे। इस अवैध कब्जे के खिलाफ तोमर ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।

कोर्ट ने दिया खाली कराने का आदेश

कोर्ट ने पार्क खाली कराने का निर्देश दिया। इसी आदेश का पालन कराने के लिए कोर्ट ने अवमानना याचिका पर कड़े निर्देश दिए तो मजबूरी में शासन ने कार्यवाही की। प्रमुख सचिव गृह का स्पष्ट निर्देश था कि न्यूनतम बल प्रयोग किया जाए इसलिए पुलिस ने ढाई सौ की संख्या में चेतावनी के बाद बाउन्ड्री वाल तोड़कर बेदखली कार्यवाही की। जिसमें एसपी व एसओ मारे गए। झोपडि़यों में आग लगने व गैस सिलेंडरों से कई लोग झुलस कर मर गए। कुल 28 लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने 101 आरोपियों को गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल की है। जिस पर सत्र न्यायालय में मुकदमा चल रहा है।

डीएनए की जांच रिपोर्ट मंगाई

रामवृक्ष की मौत पर भी सवाल उठे। कोर्ट के आदेश से डीएनए जांच रिपोर्ट मंगाई गई है। पुलिस ने खून लगे कपड़े व अन्य साक्ष्य नहीं लिए। चश्मदीद व घायल अधिकारियों को दो माह बाद तक बयान दर्ज नहीं किए गए। तमाम खामियों के चलते कोर्ट ने सीबीआई को नए सिरे से जांच कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

Posted By: Inextlive