17 को होगी याचिका पर सुनवाई, प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में घायल व मृतकों की जानकारी देनी होगी

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सीएए के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान पुलिसिया उत्पीड़न की समूहों, संगठनों व व्यक्तिगत शिकायतों पर कार्रवाई ब्योरा पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने पीयूसीएल, पीएफआइ, अजय कुमार सहित आधा दर्जन जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।

स्टेट से डिमांड पर भेजी गयी सेंट्रल सिक्योरिटी फोर्स

याचिका पर केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया। राज्य सरकार का अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व केंद्र सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने पक्ष रखा। याचिका में पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत की एफआइआर दर्ज कराने, हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश या एसआइटी से जांच कराने व घायलों का इलाज कराने की मांग की गई है। याचियों का कहना है कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों का उत्पीड़न किया है। जिसकी रिपोर्ट विदेशी मीडिया में छपने से भारत की छवि को नुकसान हुआ है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, मेरठ व अन्य नगरों में पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ शिकायतों की विवेचना कर कार्रवाई की जाए। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि केंद्रीय सुरक्षा बल राज्य सरकार के बुलाए जाने पर भेजे गए। कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए उचित कार्रवाई की गयी है। वहीं, राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि विरोध प्रदर्शन में हुई हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिस बल भी घायल हुआ है। पुलिस पर फायरिंग की गयी। प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़, आगजनी कर सरकारी व व्यक्तिगत संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है, जिसकी विवेचना की जा रही है।

कोर्ट ने मांगी जानकारी

पुलिस के खिलाफ कितनी शिकायतें दर्ज की गई

प्रदर्शन के दौरान कितने लोग मरे, कितने घायल हुए

घायलों को क्या चिकित्सा सुविधा प्रदान की गयी

मीडिया रिपोर्ट की सत्यता की जांच की गयी या नहीं।

मृत लोगों के घर वालों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट दे गयी या नहीं

हर घटना व शिकायत पर की गयी कार्रवाई का ब्योरा पेश करें

मंसूर अली पार्क में चल रहा धरनाफोटो

करेली एरिया में स्थित मंसूर अली पार्क में चल रहा सीएए, एनआरसी के विरोध में महिलाओं का धरना सोमवार को भी जारी रहा। दिन में भारी भरकम फोस पार्क में पहुंचने से धरना देने वालों में आक्रोश भर गया। इस मामले में दो लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज किये जाने से स्थिति और बिगड़ी है। आंदोलनकारियों का कहना था कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण है, लिहाजा उन्हें पुलिस परेशान न करे। जबकि प्रशासन और पुलिस की पूरी कोशिश थी कि आंदोलन समाप्त करा दिया जाय।

Posted By: Inextlive