18 दिसंबर को होगी याचिका पर सुनवाई, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में फंसा है पेंच

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कुछ चयनितों ने पदभार ग्रहण नहीं किया। इससे पद रिक्त हो गये। इन पदों पर वेटिंग में रखे गये कैंडीडेट्स के लिए नियुक्ति आदेश कौन जारी करेगा? निदेशक। जिला विद्यालय निरीक्षक या बोर्ड? इस पेंच को निकालने के लिए अभ्यर्थी हाई कोर्ट पहुंचे तो कोर्ट ने अफसरों को नसीहत दे डाली कि वे मिल-बैठकर इसका समाधान निकालें। इसका कोई असर प्रतियोगी छात्रों पर नहीं पड़ना चाहिये।

रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए नहीं जारी हो पा रही सूची

यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार की कोर्ट ने दिया है। कोर्ट दिवाकर सिंह की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि सहायक अध्यापक की भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों का एक पैनल जारी कर कॉलेज आवंटित किए गए। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एलनगंज प्रयागराज की ओर से चयनित अभ्यर्थी के कॉलेज में पदभार ग्रहण न करने पर रिक्त पद पर आवंटन के अधिकार को लेकर एक राय नहीं बन पा रही है। इसको लेकर चयन बोर्ड व अधिकारियों के बीच मतभिन्नता है। कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव या संयुक्त सचिव माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के समक्ष संबंधित प्राधिकारी उपस्थित होकर आपसी परामर्श करके इस विवाद का हल करें। यदि बोर्ड द्वारा भेजे गए चयनित पदभार ग्रहण नहीं करते हैं तो उस पद पर चयन सूची से आवंटन का अधिकार बोर्ड को होगा या मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक का? या फिर जिला विद्यालय निरीक्षक को आवंटन का अधिकार मिलेगा? इससे सेलेक्टेड कैंडीडेट्स पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिये। कोर्ट ने चयन बोर्ड की सचिव को अगले आदेशों तक कोर्ट में हाजिर होने से छूट दे दी है। बोर्ड का कहना है कि चयन कर कालेज आवंटित करने का अधिकार उसे है। अधिकारी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में जिले स्तर पर अधिकारियों को तैनाती का अधिकार है।

Posted By: Inextlive