हाई कोर्ट ने कहा, कैंपस में अनुशासनहीनता पर बाहर किये जाने वालों को सुधरने का एक मौका मिलना जरूरी

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देश में संवैधानिक व्यवस्था लागू है। अनुच्छेद 21 में मूल अधिकार को डिफाइन किया गया है। इसमें मानव अधिकारों का जिक्र है। किसी भी इंस्टीट्यूशन का छात्र कोई गलती करता है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है उसका कॅरियर ब्रेक कर दिया जाय। छात्र व समाज के हित को दृष्टिगत रखते हुए यूनिवर्सिटी को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे छात्र को सुधरने का पूरा मौका मिले। यह कमेंट गुरुवार को बीएचयू और एएमयू में अनुशासनहीनता पर कैंपस में प्रवेश से वंचित कर दिये गये छात्रों की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया। कोर्ट ने प्रोफेसर से दु‌र्व्यवहार के आरोपी छात्रों को कोर्स कांटीन्यू करने की अनुमति दे दी है।

एमएचआरडी उपलब्ध कराए सुविधाएं

यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने छात्र अनंत नारायण मिश्र की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि छात्रों के लिए सुधार व पुनर्वास स्कीम बनायी जानी चाहिये। इसे अधिकतम एक साल में लागू कर दिया जाना चाहिये। कोर्ट ने एमएचआरडी सचिव और यूजीसी को निर्देश दिया है कि वे इसमें यूनिवर्सिटी को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने कहा कि अनुशासनहीन छात्रों को सुधरने का मौका जरूर दिया जाना चाहिये।

क्या है याचिका में

कुलसचिव बीएचयू वाराणसी के 30 मार्च 2019 के आदेश को चुनौती दी गई है।

इसके तहत अनुशासनहीनता के आरोपी छात्रों के विशेषाधिकार व परिसर के भीतर उनके क्रियाकलापों पर रोक लगा दी गई है।

आदेश में कहा गया है कि इस मामले में लंका थाना में दर्ज शिकायत पर इनके दोषमुक्त होने तक यह निलंबित रखे जाएंगे।

बता दें कि 28 जनवरी को बीएचयू के एक प्रोफेसर पर हमला करके जातिसूचक टिप्पणी की गयी।

इसे लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आरोपी छात्रों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गई।

हाई कोर्ट ने क्या कहा

आरोपी छात्रों को अपना कोर्स पूरा करने की अनुमति दी जाय

यूनिवर्सिटी छात्रों को सुधरने का एक मौका देने के लिए पुनर्वास स्कीम लागू करे

एमएचआरडी और यूजीएम यूनिवर्सिटी को जरूरी संसाधन मुहैया कराये

Posted By: Inextlive