ट्रेनिंग के दौरान वीडियो बनाने की अफवाह पर किया था धरना-प्रदर्शन

हाई कोर्ट ने कहा, बर्खास्तगी से पूर्व जांच नियम 14(1) की प्रक्रिया पूरी करना जरूरी

prayagraj@inext.co.in

केवल तथ्यात्मक जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्पष्टीकरण लेकर सिपाहियों की बर्खास्तगी गलत है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि ट्रेनिंग कर रहे कांस्टेबिलों की बर्खास्तगी से पूर्व उन्हें भी विभागीय कार्रवाई के लिए विहित यूपी पुलिस आफिसर्स ऑफ सबार्डिनेट रैंक (पनीसमेंट एंड अपील) रूल्स 1991 के नियम 14(1) की प्रक्रिया पूरी करना जरूरी होगा। कोर्ट ने इसी आधार पर प्रयागराज के एसएसपी की ओर से ट्रेनिंग के दौरान वीडियो बनाने की अफवाह को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रही चार महिला सिपाही ट्रेनी की 26 जून 2019 को पारित बर्खास्तगी आदेश रद कर दिया है।

बिना शर्त माफी मांगें याचीगण

यह निर्णय जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने ट्रेनी बर्खास्त सिपाहियों कुमारी अनामिका सिंह व तीन अन्य सिपाहियों की याचिका पर दिया है। बर्खास्तगी आदेश रद कर कोर्ट ने इन याची सिपाहियों को निर्देश दिया है कि वे अपने कार्य के लिए बिना शर्त क्षमा मांगे और अधिकारी के समक्ष इस आशय का अंडरटेकिंग दें कि वे भविष्य में ऐसे किसी भी कार्य में शामिल न होंगे। अधिकारी उनकी इस अर्जी पर विचार कर आगे की शेष ट्रेनिंग को लेकर आदेश पारित करेगा।

पांच जून को की गयी थीं बर्खास्त

याची महिला सिपाहियों को पांच जून 2019 को वाराणसी में ट्रेनिंग के दौरान वीडियो बनाने की अफवाह को लेकर धरना प्रदर्शन करने के आरोप में एसएसपी ने बर्खास्त कर दिया था।

बर्खास्तगी आदेश तीन सदस्यीय समिति की आठ जून 2019 की रिपोर्ट के आधार पर सभी याची सिपाहियों से स्पष्टीकरण लेने के बाद पारित किया गया था।

रिपोर्ट 42 पेज की थी तथा 50 लोगों का बयान लेकर तैयार की गयी थी।

यह सही था कि रिपोर्ट के अलावा और कोई जांच नहीं कराई गयी थी।

महिला सिपाहियों की तरफ से सीनियर अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि इन महिला सिपाहियों पर अनुशासनहीनता व दुराचरण करने का आरोप है

इन्हें बिना विभागीय कार्रवाई पूरी किए सेवा से हटा दिया गया है, जो गैरकानूनी है।

अधिवक्ता का कहना था कि सिपाहियों को सेवा से बर्खास्तगी की जो कानूनी प्रकिया नियमावली 1991 के नियम 14(1) में निहित है, उसका पालन नहीं किया गया है।

तर्क था कि नियमावली 2015 के जिस नियम 20(4) के तहत बर्खास्तगी की कार्रवाई की गयी है, वह अनुशासनहीनता के केस में लागू नहीं होता।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नियम 20(4) जिसके तहत बर्खास्तगी की गयी है वह ट्रेनिंग के दौरान सिपाहियों की कार्य संपादन क्षमता को आकलन करने से संबंधित है।

सिपाही के दुराचरण से संबंधित नहीं है। ऐसे में नियम 20(4) के तहत बर्खास्तगी की कार्रवाई करना गलत था।

Posted By: Inextlive