कोर्ट ने कहा, सरकार न करे हस्तक्षेप, बिना अनुमति के न बदले जाएं महानिदेशक

कार्यालय भवन में अव्यवस्थाओं पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय भवन निर्माण में घपले पर विजिलेंस जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट ने दो महीने में इसकी रिपोर्ट मांगी है और मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव गृह से कहा है कि सरकार विजिलेंस के कार्य में हस्तक्षेप न करे। कोर्ट की अनुमति के बिना महानिदेशक को न बदले जाने का भी निर्देश हुआ है।

फिर भी व्यवस्था नहीं बदली

यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस शशिकांत की खंडपीठ ने मंशाद व अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने भवन निर्माण में भारी धनराशि खर्च कर दी। व्यवस्थाएं अस्त व्यस्त हैं। दो लिफ्ट लगी है। एक का संचालन बंद है दूसरी आये दिन खराब रहती है। फाइलें समय से कोर्ट में न आने पर सुनवाई नहीं हो पाती। लाखों रुपये का जनरेटर लगा दिया और उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। भवन निर्माण के मानकों का पालन भी नहीं किया गया। कोर्ट ने सवाल किया कि फंड का अगर सही इस्तेमाल नहीं हुआ है तो इसका जिम्मेदार कौन है। बता दें कि महाधिवक्ता कार्यालय का भवन निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासन काल में हुआ और जेनरेटर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासन के दौरान खरीदा गया।

Posted By: Inextlive