इलाहाबाद संग्रहालय में श्रीमद्भगवद्गीता पर केंद्रीत चित्र प्रदर्शनी का किया गया आयोजन

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पं। केशरीनाथ त्रिपाठी रहे चीफ गेस्ट, भीष्म पितामह के चित्र ने मोहा

ALLAHABAD: गीता हमारी संस्कृति का आधार ग्रन्थ है। इसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह बातें पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पं। केशरीनाथ त्रिपाठी ने मंगलवार को इलाहाबाद संग्रहालय में आयोजित श्रीमद्भगवद्गीता पर केन्द्रित चित्र प्रदर्शनी में बतौर मुख्य अतिथि कही।

29 चित्र प्रदर्शित किए गए

उन्होंने गीता के कर्म का उल्लेख करते हुए बताया कि कर्म ही मनुष्य को गतिशील बनाए रखता है। प्रदर्शनी में कुल 29 चित्र सुसज्जित तरीके से सजाए गए थे। ये राजस्थानी व हिमांचल प्रदेश के आर्की से प्राप्त कांगड़ा शैली के हैं। खासतौर से भीष्म पितामह की शरशैया की तस्वीर को दर्शकों की खूब वाहवाही मिली। अध्यक्षता करते हुए जस्टिस रवीन्द्र सिंह ने कहा कि गीता के संदेश जीवन को प्रकाशित करने वाला शाश्वत संदेश है। संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदर्शनी की महत्ता पर प्रकाश डाला।

किताब का किया विमोचन

राज्यपाल श्री त्रिपाठी ने शरद द्विवेदी द्वारा लिखित नागा सन्यासियों की पुस्तक का विमोचन किया। संचालन कवि डॉ। श्लेष गौतम ने किया। इस मौके पर दैनिक जागरण के उपमहाप्रबंधक मनीष चतुर्वेदी, प्रो। योगेश्वर तिवारी, प्रो। अमर सिंह, डॉ। शांति चौधरी, नरेन्द्र देव पांडेय, शेखर बहुगुणा, डॉ। राम नरेश त्रिपाठी, फूलचंद्र दुबे, रविनंदन सिंह, नंदल हितैषी आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive