500 यूनिट प्लेटलेट्स की पर-डे है डिमांड

250-300 यूनिट ही सिटी के ब्लड बैंक कर पा रहे सप्लाई

20 हजार से ऊपर प्लेटलेट्स होने पर ब्लड बैंक नहीं पूरी करेगा डिमांड

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-एडमिनिस्ट्रेशन की सख्ती पर ब्लड बैंकों ने फॉलो की गाइडलाइन

-केवल जरूरतमंदों को प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने के आदेश

PRAYAGRAJ: सिटी में डेंगू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में जरूरतमंदों को समय पर इलाज मिल सके, इसके लिए एडमिनिस्ट्रेशन ने सख्ती करनी शुरू कर दी है। सभी ब्लड बैंकों को मौखिक तौर पर प्लेटलेट्स को लेकर डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी गाइड लाइन फॉलो करने को कहा गया है। अब केवल उन्हीं मरीजों को प्लेटलेट्स मुहैया कराई जाएगी, जिनका काउंट 20 हजार से नीचे आ गया है। इससे अधिक प्लेटलेट्स काउंट वालों को वेट करने को कहा जा रहा है।

क्या कहती है गाइडलाइन

डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन कहती है कि बाहर से प्लेटलेट्स तभी चढ़वाई जानी चाहिए जब बॉडी में इसका काउंट घटकर 20 हजार से नीचे चला जाए, लेकिन देखने में कुछ और आ रहा है। जिनका काउंट 50000 या एक लाख से अधिक है वह भी ब्लड बैंकों में लाइन लगाकर खड़े हैं। नियमानुसार ब्लीडिंग या हैमरेज जैसे लक्षण होने की दशा में अधिक प्लेटलेट्स होने पर भी प्लेटलेट्स चढ़वाई जा सकती है।

कब जरूरी है प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन

-यदि प्लेटलेट काउंट 10,000 से नीचे आया हो तब और 5000 के बाद तो प्लेटलेट्स चढ़वाना जरूरी

-यदि प्लेटलेट काउंट पहले की तुलना में 50 फीसदी से कम हो गया है तो सतर्कभर रहें।

-यदि प्लेटलेट काउंट एक लाख से कम हों परंतु मरीज की न्यूरो सर्जरी या आंखों की सर्जरी करनी पड़ रही है तो काउंट इतना कम न होने पर भी हमें प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन देना ही होगा।

-किसी भी अन्य सर्जरी में भी यदि प्लेटलेट काउंट 50,000 से कम हैं तो भी प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की व्यवस्था करनी होगी।

-प्लेटलेट्स अगर नॉर्मल से कम हैं , फिर वे चाहे बहुत कम न भी हों परंतु यदि मरीज को कहीं से भी कोई ब्लीडिंग हो रही है तब भी प्लेटलेट्स देनी होंगी।

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प्लेटलेट्स भी हो सकते हैं रिस्की

यदि डिमांड नहीं है, पर बहुत से लोग थोड़ा भी प्लेटलेट्स कम होने पर उसे चढ़ाने की जिद करते हैं, तो भी उससे पेशेंट को नुकसान हो सकता है।

हेमोलिटिक रिएक्शन

एक हेमोलिटिक रिएक्शन तब हो सकता है जब मरीज को फेरेसिस प्लेटलेट्स प्राप्त होते हैं। यह एक घातक प्रतिक्रिया है जो आपकी जान ले सकती है।

ट्रांसफ्यूजन-रिलेटेड इंजरी

सिंगल डोनर से प्लाज्मा कि बड़ी मात्रा लेने से ट्रांसफ्यूजन-रिलेटेड इंजरी का खतरा बढ़ सकता है। यह समस्या फेफड़ों के हवा के स्थानों और टिश्यू में द्रव का संचय होने के कारण होती है।

इंफेक्शन

हालांकि ऐसे उदाहरण दुर्लभ हैं, प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन से रिसीवर में हॉस्पिटल-अक्वायर्ड इंफेक्शन की संभावना को बढ़ाते हैं।

सर्कुलेटरी ओवरलोड

ट्रांसफ्यूज-एसोसिएटेड सर्कुलेटरी ओवरलोड ब्लड ट्रांसफ्यूजन में एक गंभीर परेशानी है, यह तब होता है, जब बड़ी मात्रा में खून का तेजी से ट्रांसफ्यूजन होता है। इससे सांस लेने में परेशानी और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।

एलर्जी अटैक

इसके बाद एलर्जी रिएक्शन होने का डर होता है। यह रिएक्शन प्लाज्मा प्रोटीन से संबंधित है और इससे खुजली, लालिमा से लेकर हाइपोटेंशन और सांस में कमी कई समस्या हो सकती है।

सात सौ के करीब पहुंचे डेंगू के पेशेंट

-मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायलाजी लैब में 16 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि

-डेंगू के पेशेंट की कुल संख्या 679 पहुंची

-लास्ट इयर 16 नवंबर तक डिस्ट्रिक्ट में डेंगू के मरीजों की कुल संख्या 720 थी

-शनिवार को जांच के लिए लैब में कुल 120 सैंपल भेजे गए।

डिमांड बहुत अधिक है। फिलहाल हम 20 की जगह 10 हजार से कम प्लेटलेट्स वाले मरीजों को वरीयता दे रहे हैं। इससे अधिक प्लेटलेट होने पर मरीजों को इंतजार करने को कहा जा रहा है। बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके शरीर में एक लाख से अधिक प्लेटलेट हैं लेकिन वह ट्रांसफ्यूजन की जिद करते हैं।

-डॉ। अशोक अग्रवाल, पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

Posted By: Inextlive