अब तत्काल में कन्फर्म का नहीं होगा अकाल
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-प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वालों पर आरपीएफ ने की जबर्दस्त कार्रवाई -बुधवार को इलाहाबाद जंक्शन के पीआरएस काउंटर से बने कुल 15 तत्काल कन्फर्म टिकट balaji.kesharwani@inext.co.inPRAYAGRAJ: रेलवे टिकट बुकिंग में पब्लिक को तत्काल से बड़ी आस रहती है। उसे लगता है कि चलो जनरल बुकिंग में नहीं पर यहां तो कन्फर्म टिकट मिल ही जाएगा। लेकिन ऑनलाइन दलाल तत्काल में खेल कर देते थे। नतीजा, रिजर्वेशन काउंटर पर खड़ा आम आदमी कन्फर्म टिकट की आस लिए खड़ा ही रह जाता था। लेकिन रेलवे अधिकारियों और आरपीएफ टीम ने ऐसे दलालों की कमर तोड़ दी है। पूरे देश में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के जरिये तत्काल टिकट बनाने वाले गिरोह के खिलाफ जबर्दस्त कार्रवाई की गई है। प्रयागराज में भी अक्टूबर 2019 से अब तक 35 एजेंट पकड़े गए हैं। इसका असर यह है कि अब पीआरएस काउंटर से ज्यादातर पैसेंजर्स को कन्फर्म तत्काल टिकट मिलने लगा है।
पीआरएस काउंटर से बने 15 तत्काल कन्फर्म टिकट -दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बुधवार तो इलाहाबाद जंक्शन के पीआरएस काउंटर से बनने वाले तत्काल टिकटों के हालात जाने। -पीआरएस काउंटर पर बैठे कर्मचारियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से स्थितियां बदली हैं। लोगों को आसानी से तत्काल कनफर्म टिकट मिल जा रहा है।-सुबह दस बजे के पहले ही लोग तत्काल टिकट के लिए टोकन लेकर लाइन में लग चुके थे।
-तत्काल बुकिंग शुरू होने के कुछ ही देर के अंदर दो से तीन लोगों को प्रयागराज व एक अन्य ट्रेन में तत्काल का कनफर्म टिकट मिला। -11 बजे स्लीपर तत्काल के लिए शुरू हुई बुकिंग प्रक्रिया एक घंटे तक जारी रही। -एक घंटे तक विभिन्न ट्रेनों में स्लीपर कोच के 13 कनफर्म तत्काल टिकट बुक हुए। बॉक्स तत्काल टिकट बुकिंग का यह है सिस्टम 10.00 बजे है एसी तत्काल की टाइमिंग 11.00 बजे है स्लीपर तत्काल की टाइमिंग 35 सेकेंड के लिए ई-टिकटिंग पर रिस्ट्रक्शंस है तत्काल खुलने के बाद। दलाल आजमाते थे यह ट्रिक -सॉफ्टवेयर बनाने वाला कोई एक व्यक्ति होता था, जो आईआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगाता था - जिसके बाद पूरे देश में सॉफ्टवेयर बांट कर टिकट बनाया जा रहा था, जिसका हर महीने पासवर्ड बदल दिया जाता था -वाट्सएप ग्रुप पर होती थी बातचीत सभी की। आईआरसीटीसी की वेबसाइट सुबह दस बजे ही वर्क करना शुरू करती है।-जबकि इल्लीगल सॉफ्टवेयर के जरिये सुबह 9.30 बजे ही उसमें सारी जरूरी जानकारी फीड कर दी जाती थी, जैसे ही 10 बज कर 35 सेकेंड का रिस्ट्रक्शन खत्म होता था सारे पेजेज हिट होने लगते थे
-पेमेंट के लिए भी अलग-अलग मोड व अलग-अलग डेबिट व क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल होता था। -एक ही टिकट के लिए छह पेजेज खोल कर टिकट के दलाल रखते थे। -ऐसा सिस्टम रहता था कि छह के छह सभी पेज एक साथ रन होते थे और कोई एक जाकर आईआरसीटीसी के सर्वर को हिट करता था। -हर पेज के साथ डिफरेंट मोड ऑफ ट्रांजैक्शन कनेक्ट रहता है। सर्वर पर जो पेज हिट करता है, उसका पैसा कट जाता है। -पीएनआर जेनरेट करने के साथ ही टिकट बन जाता था। बाकी पेजेज नल एंड वॉयड हो जाते थे। -जो सॉफ्टवेयर से टिकट बनाता है, वह टिकट बना कर सप्लाई करता है, जिसे 120 रुपये पर पैसेंजर्स के हिसाब से पेमेंट चाहिए ------- यह बैन सॉफ्टवेयर होते थे यूज एनएमएस, रेड मिर्ची, जगुआर सॉफ्टवेयर आरपीएफ ने पूरे देश में चला रखा है अभियानपिछले छह महीने में पूरे देश में अभियान चलाकर आरपीएफ ने करीब 150 से अधिक अवैध एजेंटों को पकड़ा है। यह अवैध सॉफ्टवेयर्स के जरिए टिकट बुक कर रहे थे। प्रयागराज से भी एक एजेंट को पकड़ा गया है जो प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बनाता था। इसके अलावा 35 एजेंट पकड़े गए हैं, जो आईआरसीटीसी के एजेंट होने के साथ ही पर्सनल आईडी से तत्काल टिकट बनाकर बेचते थे।
आरपीएफ के इलाहाबाद पोस्ट द्वारा अक्टूबर 2019 से फरवरी 2020 तक करीब 28 टिकट दलालों को पकड़ा गया है राजरूपपुर से- 02 प्रीतमनगर से- 01 मुंडेरा से- 02 चकिया से- 01 सदर बाजार से- 03 मम्फोर्डगंज से- 01 अल्लापुर से- 04 झूंसी से- 02 सिविल लाइंस से 03 मीरापुर से- 01 सोहबतियाबाग से- 02 बैरहना से- 02 दारागंज से- 01 तेलियरगंज से- 02 जितने भी लोग पकड़े गए हैं, उनमें से ज्यादातर लोग आईआरसीटीसी के एजेंट हैं। इसके बाद भी टिकट की दलाली करते थे। वहीं झूंसी के रहने वाले राहुल सिंह यादव को प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बनाते हुए पकड़ा गया था। टिकट के दलालों पर अंकुश लगने से अब काउंटर से तत्काल टिकट बनना आसान हो गया है। -अमित द्विवेदी एसआई, आरपीएफ