- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में कुलदीप सिंह केडी मेमोरियल लेक्चर का आयोजन

- इसरो के वैज्ञानिक ने कहा, मंगल ग्रह पर इंसानों से मिलती हुई कई चीजें मिली

ALLAHABAD: एलियंस हैं या नहीं? हैं तो दिखते कैसे हैं? कहां रहते होंगे? क्या खाते होंगे? कुछ ऐसे ही सवाल हैं, जो बुधवार को स्टूडेंट्स की जुबां पर थे। मौका था इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आर्गनाइज कुलदीप सिंह केडी मेमोरियल लेक्चर का, जिसमें इसरो के युवा वैज्ञानिक डॉ। आलोक श्रीवास्तव मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि परलोक के रहस्य से जल्द ही पर्दा उठेगा।

स्लाइड्स में दिखा जीवन का अक्स

लेक्चर का मुख्य विषय मिशन टू मून एंड मार्श था। डॉ। आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि जहां कार्बन, हाईड्रोजन और आक्सीजन की मौजूदगी होती है, वहां जीवन की संभावना होती है। तीनों ही चीजें मंगल ग्रह पर मौजूद हैं। उन्होंने दिखाया कि मंगल ग्रह पर इंसान से मिलती हुई कोई चीजें दिख रही हैं। दिखाया कि वहां सूखे बर्फ के प्रमाण मिले हैं। ऐसे में इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि जिन जगहों से तस्वीरें ली गई हैं, वहां कभी बर्फ, पानी, नदी या सागर जैसी चीजें रही हों।

तब चाइना ने दिखाई थी धाक

डॉ। आलोक ने कहा कि एलियंस और उड़न तश्तरी का रहस्य अभी परदे के पीछे ही है। लेकिन जितनी तेजी से दुनियाभर के साइंटिस्ट खोज में लगे हैं, वह दिन दूर नहीं जब इनपर से परदा उठ जाएगा। एक स्टूडेंट ने सवाल किया कि क्या भारत ने मंगलयान प्रक्षेपण दुनियाभर में अपनी धमक दिखाने के लिए किया था? डॉ। आलोक ने जवाब में कहा कि चाइना ने अपनी ही मिसाइल से अंतरिक्ष में अपने सेटेलाइट को नष्ट कर दिया था। ऐसा करके चीन ने दुनिया को अपनी धमक दिखाने की कोशिश की थी।

स्टूडेंट्स से इंटरैक्शन भी किया

उन्होंने बताया कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कुछ समय पहले हमें सूरज पर ब्लैक स्पॉट की बात बताई थी। कहा, जब तक हम खुद सक्षम नहीं होंगे, ऐसी बातें सुनते रहेंगे। मंगलयान प्रक्षेपण के जरिए हमने दुनिया को संदेश दिया कि भारत भी अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कदम बढ़ाने में सक्षम है।

क्या बोले साइंटिस्ट

-जहां कार्बन, हाईड्रोजन और आक्सीजन की मौजूदगी होती है, वहां जीवन की संभावना होती है। तीनों ही चीजें मंगल ग्रह पर मौजूद हैं।

-मंगल ग्रह पर इंसान से मिलती हुई कई चीजें दिख रही हैं। वहां सूखे बर्फ के प्रमाण भी मिले हैं।

-मंगलयान प्रक्षेपण के जरिए हमने दुनिया को संदेश दिया कि भारत भी अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कदम बढ़ाने में सक्षम है।

बाक्स

नहीं आती थी अंग्रेजी

इसरो के वैज्ञानिक डॉ। आलोक श्रीवास्तव को भी अंग्रेजी नहीं आती थी। करीब तीस साल पहले जब वह इसरो में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए तो यह सोचकर घबराए हुए थे कि इंग्लिश में क्वेशचन पुटअप हुआ तो जवाब कैसे देंगे? उन्होंने पहला चरण खराब होने के बाद इंटरव्यू के दूसरे चरण को बोल्डली फेस किया। बाद में ज्वाइनिंग लेटर आया।

हर साल होगा मेमोरियल लेक्चर

गौरतलब है कि वर्ष 2013 में छात्रसंघ अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए कुलदीप सिंह केडी की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी। इसी क्रम में स्व। कुलदीप सिंह केडी के नाम पर लेक्चर का आयोजन किया गया था। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर आरएल हांगलू ने घोषणा की कि अब हर साल लेक्चर का आयोजन किया जाएगा।

Posted By: Inextlive