-आर्ट से ग्रेजुएट गांव के स्टूडेंट ने तैयार किया मानव रहित फाइटर प्लेन का वर्किंग मॉडल

-थर्मोकोल, प्लास्टिक पाइप और स्मार्टफोन से बना है मॉडल, मोबाइल से ही होता है ऑपरेट

prakashmani.tripathij@inext.co.in

PRAYAGRAJ: कहते हैं बचपन में देखी गई चीजें, अक्सर कुछ सपनों को जन्म दे देती हैं। मांडा के अजय ने जब बचपन में हवाई जहाज देखा तो उसमें सवार होने का मन हुआ। अपने हालात से बखूबी वाकिफ अजय को पता था कि हवाई जहाज पर चढ़ना उनके बूते की बात नहीं। लेकिन मन में जन्में ख्वाब ने आकार लेना शुरू कर दिया था। सोचा, हवाई जहाज में चढ़ नहीं सकते, लेकिन बना तो सकते हैं। फिर क्या, शुरुआत कर दी। सेल्फ स्टडी की। गूगल, यूट्यूब पर खूब रिसर्च की और आज उनका बनाया फाइटर प्लेन का प्रोटोटाइप प्रयागराज के आसमान की ऊंचाइयां नाप रहा है।

बालाकोट स्ट्राइक के बाद आया ख्याल

मांडा के महुआरीकला गांव के रहने वाले अजय कुमार का एजुकेशन बैकग्राउंड भी नॉन टेक्निकल रहा है। उन्होंने आ‌र्ट्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद बाद कम्प्यूटर हार्ड वेयर का कोर्स किया। लेकिन बचपन का ख्वाब कहीं न कहीं कुरेदता रहा। अजय बताते हैं कि गांव में पर्याप्त संसाधन नहीं होने से सफलता नहीं मिली। रोजी-रोटी चलाने के लिए उन्होंने गांव में ही मोबाइल शाप खोल ली। उसके बाद भी एयरोप्लेन बनाने के सपने जिंदा रखा। लास्ट ईयर बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद अभिनंदन वाली घटना से उनको विचार आया। सोचा कि अगर कोई ऐसा मानवरहित फाइटर प्लेन हो, जिसे देश से कंट्रोल किया जा सके तो ऐसी नौबत नहीं आएगी। इसी विचार के साथ वह फाइटर प्लेन का प्रोटोटाइप बनाने में जुट गए। करीब एक साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें मानव रहित फाइटर प्लेन का प्रोटोटाइप बनाने में सफलता मिली। उन्होंने अपने प्लेन का मॉडल एयरपोर्ट अथारिटी ऑफ इंडिया के प्रयागराज ऑफिस में भी दिखाया है।

इंडियन फोर्सेज के लिए कुछ करने की चाह

अजय कुमार बताते हैं कि उनके पिता लक्ष्मणधारी पीएसी से रिटायर्ड हैं। परिवार में देश के प्रति करने का जज्बा उनको पिता से मिला। इसी कारण वह इंडियन फोर्सेज के लिए कुछ करने की चाहत रखते हैं। उन्होंने बताया कि इसी सोच को लेकर उन्होंने थर्माकोल, पाइप और बैटरी से प्रोटोटाइप मॉडल बनाया। उन्होंने अपने वर्किंग मॉडल का नाम आरसी प्लेन रखा। यानी रिमोट कंट्रोल प्लेन। ये तकनीक फिलहाल देश में नहीं है। उसी को ध्यान में रखते हुए मॉडल तैयार किया।

ऐसे करता है वर्क

-प्लेन को बनाने में मुख्य रूप से थर्मोकोल, प्लास्टिक पाइप, सेलोटेप और स्मार्टफोन का यूज किया गया है।

-प्लेन को कंट्रोल और कमांड देने के लिए उसमें दो मोबाइल हैंडसेट फिट किए गए हैं।

-दोनों मोबाइल फोन को प्लेन में लगाए गए कंट्रोल पैनल से अटैच किया गया है। यह प्लेन में राडार का काम करते हैं।

-प्लेन का उड़ने के पहले ही दो अलग-अलग मोबाइल से कॉल करके कनेक्ट करा दिया जाता है।

-प्लेन को हवा में उड़ाने के बाद उसे लेफ्ट या राइट मूव कराने में मोबाइल हैंड सेट का यूज करके उसके जरिए कमांड दिया जाता है।

-प्लेन के वर्किंग मॉडल में लगी बैटरी से वह फिलहाल 25 मिनट तक अपने फाइटर प्लेन को उड़ा सकते हैं।

-इसे बनाने के लिए अजय ने यूट्यूब की भी हेल्प ली है।

-अब उनका प्लान इसको अपग्रेड करने का है। बैटरी की जगह सोलर पैनल का यूज कर उड़ान का वक्त और दायर दोनों बढ़ाना चाहते हैं।

Posted By: Inextlive