-चाइल्ड एब्यूज की कहानी, पीडि़त बच्ची की मां की जुबानी

-सौतेले बाप ने किया था छह साल की बच्ची से रेप

PRAYAGRAJ: बहुत आसान होता है दूसरों के साथ हु्रई घटनाओं पर अपनी राय रखना। सही और गलत का भेद करना। लेकिन खुद का दर्द बयां करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन एक मां ने फैसला किया कि वह अपने दर्द को छुपाएगी नहीं। अपनी आपबीती को शेयर करेगी, ताकि किसी अन्य पीडि़त को भी अपनी बात कहने का हौसला मिले। सुनिए एक मां की आपबीती, जिसने बेटी का शोषण करने वाले पति को जेल भिजवा दिया।

काश वो दिन कभी न आता

जिस दिन मेरे दूसरे पति ने मुझे मेरी बच्ची समेत अपनाया था वह मेरी जिंदगी का एक सुनहरा दिन था। लेकिन मेरी यह गलतफहमी उस दिन दूर हुई, जिस दिन मेरे पति ने मेरी बच्ची को ही अपना शिकार बना लिया। सड़क हादसे में पहले पति की मौत के बाद मेरी जिंदगी बिल्कुल बेरंग हो चुकी थी। अपनी बेटी, अपनी नन्हीं सी जान को लेकर मैं बहुत चिंतित थी। मेरे लिए जिंदगी के मायने बदल चुके थे। तमाम तरह के उल्टे-सीधे ख्यालात मन में आते थे। लेकिन तभी मेरी मासूम बेटी का चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। मैंने अपनी बच्ची के लिए अपने सारे गम पी जाने का फैसला किया।

और वो कड़वा अनुभव

जिंदगी से उलझते हुए मैं किसी तरह समय की धारा से लड़ती चली जा रही थी। तभी समय ने करवट बदली। मेरी वीरान जिंदगी में खुशियों की कुछ बूंदें टपकीं। एक शख्स ने न सिर्फ मेरा दामन थामा, बल्कि मेरी बच्ची समेत मुझे अपनाकर जिंदगी की सबसे बड़ी नेमत दे दी। मुझे अचानक जिंदगी खुशगवार लगने लगी। लेकिन तभी एक दिन हवा में उड़ते मेरे अरमानों को एक थपेड़े ने जमीन पर गिरा दिया। वह दो जनवरी 2018 की मनहूस शाम थी। मैं बाहर से घर लौटी तो मेरी बेटी बिल्कुल बदहवास सी नजर आई।

और एक नई जंग

अपनी बेटी को गुमसुम देखकर मैंने प्यार से पुचकारा, दुलारा। थोड़ी देर के बाद जब वह नॉर्मल हुई तो उसकी आंखों से आंसूओं की धार फूट पड़ी। रुंधे गले से उसने जो बताया उससे मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। उसने बताया कि सौतेले बाप ने शराब के नशे में उसे अपना शिकार बनाया। यह सुनते ही मेरे तन-बदन में आग लग गई। जिसे मैंने अपनी जिंदगी का सहारा समझा था, वह ऐसा दरिंदा निकलेगा, इसकी कल्पना भी नहीं की थी। मैं तत्काल अपनी बेटी को लेकर पुलिस के पास जाने के लिए निकली। मैं उस दरिंदे का असली चेहरा सभी के सामने लाना चाहती थी। लेकिन मेरी ससुराल के लोग अड़ गए। उन्हें अपने घर की इज्जत की पड़ी थी।

लिया महिला संगठन का सहारा

जब ससुरालवालों ने घर से निकलने नहीं दिया तो मैंने अपने मोबाइल से डायल 100 को फोन किया। सूचना मिलते ही पुलिस मेरे ससुराल पहुंच गई। तत्कालीन एसओ काफी को-ऑपरेटिव थे। पहले बच्ची का बयान हुआ। उसके बयान के बाद मेरे पति को पुलिस अपने साथ ले गई। मेरी लिखित शिकायत के बाद केस भी दर्ज हो गया। उसके बाद मेरे लिए ससुराल में रहना पॉसिबल भी नहीं था और मैं वहां रहना भी नहीं चाहती थी। मैं अपनी बच्ची को लेकर कहीं और चली गई। लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद मेरे ससुराल के लोग मेरे ऊपर तरह-तरह के दबाव बनाते थे। इससे निपटने के लिए मैंने एक महिला संगठन का सहारा लिया। इस संगठन की मदद से मुझे मेरे ससुरालियों के प्रताड़ना से मुक्ति मिली। मुझे नहीं पता कि मेरे पति कहां और किस हाल में हैं। मैं यह जानना भी नहीं चाहती। मैं अपनी एक नई जिंदगी जी रही हूं, जहां मैं हूं, मेरी बच्ची है और उसके ढेर सारे सपने हैं।

(घटना बारे में एक महिला संगठन के जरिए जानकारी मिली है.)

Posted By: Inextlive