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-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के अभियान का हुआ असर

-कोरोना वार्ड से हटाई गई महिला, जांच के लिए भेजा जा रहा है सैंपल

PRAYAGRAJ: दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की मुहिम रंग लाने लगी है। जिस गर्भवती महिला की रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद उसे कोरोना वार्ड में रखा गया था, उसे अब नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। प्रशासन अब उसे कोरोना पॉजिटिव की जगह, कोरोना संदिग्ध मान रहा है। इसके अलावा प्रशासन की तरफ से जो जांच 12 दिन बाद कराई जानी थी, उसका सैंपल बुधवार को ही भेज दिया गया। अगर यह रिपोर्ट निगेटिव आती है तो महिला को तुरंत परिवार के हवाले कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि महिला की एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब से रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद उसे कोरोना पॉजिटिव मान लिया गया था। इससे पूर्व जिस कोर डायग्नोस्टिक लैब ने महिला को पॉजिटिव बताया था उसे अवैध करार कर सील कर दिया गया है।

परेशान है पति

32 वर्षीय यह महिला रेलवे इंप्लॉई की पत्नी है। उसको डिलीवरी के लिए शकुंतला हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। हालत सीरियस होने पर ऑपरेशन से बच्चा पैदा हुआ। जांच के लिए सैंपल कोर डायग्नोस्टिक लैब में भेजा गया था। यहां से पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो हड़कंप मच गया। प्रशासन ने तत्काल हॉस्पिटल को बंद कर स्टाफ को क्वारंटीन कर दिया। महिला को एसआरएन हॉस्पिटल के कोरोना वार्ड में भर्ती करा दिया गया। दूसरी तरफ महिला का पति अड़ा रहा और उसने दूसरी बडी प्राइवेट लैब से जांच की मांग की। इस पर हॉस्पिटल ने एसआरएल डायग्नोस्टिक लैब में सैंपल भेजा तो रिपोर्ट निगेटिव आ गई।

केवल दो लैब को है परमिशन

शहर में कोविड जांच के लिए केवल दो लैब को अनुमति दी गई है। इसमें एक लाल पैथोलाजी है तो दूसरी पैथकाइंड है। यह दोनों कोरोना जांच के लिए अधिकृत हैं। इसके अलावा कोर डायग्नोस्टिक को अवैध करार दिया गया है। उसकी रिपोर्ट को भी अमान्य करार दिया गया है। ऐसे में एसआरएल लैब से जांच कराने के बाद उसकी रिपोर्ट को हॉस्पिटल प्रशासन सही मान रहा है। उनका कहना है कि यह देश की बड़ी लैब है और इसकी रिपोर्ट को वह कहीं भी पेश कर सकते हैं।

खबर पर नियमों को किया गया ब्रेक

मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि आमतौर पर ऐसे मामलों में नियमानुसार 12 दिन बाद ही जांच की जाती है। लेकिन मामला संदिग्ध है और ऐसे में नियमों को ब्रेक कर महिला की तत्काल जांच कराई जा रही है। बुधवार की देर शाम तक उसका सैंपल भेजने का निर्णय हो चुका था।

पति और नवजात हैं निगेटिव

पत्नी को कोरोना वार्ड में भर्ती कराए जाने के बाद उसका पति अपने पक्ष को लेकर भटक रहा था। उसका कहना है कि अगर इस आपाधापी में उसकी पत्नी वाकई कोरोना संक्रमित हो गई तो जिम्मेदारी कौन लेगा? गौरतलब है कि जांच में महिला का नवजात बच्चा और पति निगेटिव पाए गए हैं।

देशभर में कई जगह आए मामले

प्राइवेट लैब की कोरोना रिपोर्ट पर लगातार सवाल खडे़ हो रहे हैं। कई जगह रिपोर्ट में भिन्नता आने पर ऐसी सिचुएशन आ चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्राइवेट लैब को 4500 रुपए में जांच करने की परमिशन दी है। जबकि लैब संचालकों का कहना है कि इस खर्च में जांच करना मुश्किल है।

कोर डायग्नोस्टिक पर पहले ही कार्रवाई हो चुकी है। उसको जांच का अधिकार नहीं दिया गया था। इसके बाद मरीज को मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है। उसकी जांच कराने का निर्णय उनको लेना है।

-डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ प्रयागराज

हमने महिला को कोरोना वार्ड से हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है। उसका सैंपल भी जांच के लिए भेजने का निर्णय लिया गया है। महिला को संदिग्ध मानकर उसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

-डॉ। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Inextlive