बीस करोड़ बांटा भत्ता, आयोजन में खर्चे 15 करोड़
-सीएजी की रिपोर्ट ने खोली पोल, विधानसभा के पटल पर रखी गई पूरी रिपोर्ट
-सीधे बैंक खातों में भेजी जानी थी भत्ते की रकम, सरकार करती रही आयोजन 69 जिलों में समारोह 1 लाख, 26 हजार 521 को दिया 20.58 करोड़ बेराजगारी भत्ता 15.06 करोड़ आयोजन में 6.99 करोड़ लाने-ले जाने में 8.07 नाश्ते और बैठने में कोट चेक वितरण पर किया गया व्यय अनावश्यक था क्योंकि बेरोजगारी भत्ते का भुगतान लाभार्थियों के खाते में आसानी से बिना किसी खर्च के किया जा सकता था। -सीएजीLUCKNOW: विधानसभा के पटल पर गुरुवार को रखी गयी भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में पूर्ववर्ती सपा सरकार में बेरोजगारी भत्ता बांटे जाने के नाम पर जमकर फिजूलखर्ची का खुलासा हुआ है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2012-13 के दौरान बेरोजगारी भत्ता योजना के लाभार्थियों को चेक वितरित करने के लिए 69 जिलों में समारोहों के आयोजन पर 15.06 करोड़ रुपये खर्च किए गये जबकि यह भत्ता सीधे लाभार्थियों के खाते में जाना था। वहीं इसके विपरीत इस अवधि में 69 जिलों में एक लाख, 26 हजार 521 लोगों को 20.58 करोड़ रुपये की धनराशि बेरोजगारी भत्ते के रूप में बांटी गयी।
ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च किए सात करोड़कैग की रिपोर्ट में खुलासा भी हुआ कि राज्य सरकार द्वारा लाभार्थियों को समारोह स्थल पर लाने और वापस छोड़ने में 6.99 करोड़ रुपये खर्च किए गये। इसके अलावा लाभार्थियों के स्वल्पाहार और उनके बैठने आदि की व्यवस्था के लिए 8.07 करोड़ रुपये खर्च किए गये। सीएजी ने माना कि चेक वितरण पर किया गया व्यय अनावश्यक था क्योंकि बेरोजगारी भत्ते का भुगतान लाभार्थियों के खाते में आसानी से बिना किसी व्यय के किया जा सकता था। इस बाबत सीएजी ऑडिट द्वारा इंगित किए जाने पर निदेशक प्रशिक्षण एवं रोजगार ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित सचिवों की समिति ने समारोहों पर व्यय का निर्णय लिया था। यह उत्तर स्वीकार्य नहीं था क्योंकि बेरोजगारी भत्ता नियमावली में लाभार्थियों को भुगतान के लिए इस तरह की व्यवस्था का उल्लेख नहीं किया गया था।
हॉस्टल्स पर तीन करोड़ का खर्च बेकारअन्य पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के लिए हरदोई और बाराबंकी में 50 प्रतिशत केंद्रीय सहायता से दो छात्रावासों का निर्माण किया गयॉ इन छात्रावासों मे बिजली, पानी के अभाव औक कर्मचारियों की नियुक्ति न किए जाने से यह दोनों छात्रावास क्रमश: छह और चार साल से खाली पड़े हैं। सीएजी ने कहा है कि 1.16 करोड़ का यह व्यय निष्फल रहा क्योंकि पूरी तरह बनने के बाद भी छात्रावास काली पड़े रहे। इसी तरह अनुसूचित जाति की बालिकाओं के लिए आगरा और बिजनौर जिले में छात्रावासों पर 1.74 करोड़ रुपये का व्यय बेकार रहा क्योंकि ये भी निर्माण हो जाने के बाद प्रयोग में नहीं लाए जा रहे है।