RANCHI: यदि आपने भी अपार्टमेंट में फ्लैट बुक कराया है, लेकिन बिल्डर द्वारा अपार्टमेंट का निर्माण पूरा नहीं किये जाने से परेशान हैं तो आपके लिए गुड न्यूज है। पैसे के अभाव में आधे-अधूरे पड़े इन प्रोजेक्ट्स के लिए झारखंड रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (झारेरा) ने बिल्डरों से आगे आने को कहा है। दरअसल, हाउसिंग सेक्टर को बूस्टअप करने के लिए सरकार ने अल्टरनेटिव फंड की व्यवस्था की है। इसके तहत ऐसे बिल्डरों को पैसा दिया जाएगा, जिससे उनका प्रोजेक्ट पूरा हो सके। बता दें कि राजधानी रांची में पैसे के अभाव में 700 से अधिक हाउसिंग प्रोजेक्ट्स अधूरे पड़े हुए हैं। ये पैसे कर्ज के रूप में दिए जाएंगे, जिसे प्रोजेक्ट पूरा होने पर लौटाना होगा।

ऐसे यूज होगा फं ड का पैसा

अगर किसी प्रोजेक्ट का काम 10 करोड़ रुपये में पूरा हो सकता है तो उस प्रोजेक्ट के लिए 10 करोड़ रुपए अलॉट कर दिए जाएंगे। लेकिन यह पैसा एक साथ जारी नहीं किया जाएगा। जैसे-जैसे प्रोजेक्ट का काम पूरा होता जाएगा इसके लिए तय किए गए 10 करोड़ रुपये में से पैसा जारी किया जाता रहेगा। ऐसा करने का मकसद फं ड के दुरुप्रयोग को रोकना है। वहीं यह भी स्पष्ट किया गया है कि बिल्डर इस फ ंड का इस्तेमाल अपना बकाया पैसा चुकाने में न कर सके।

बिल्डरों को नहीं मिलेगा यह पैसा

यह फ ंड प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए बनाया गया है न कि बिल्डरों की मदद करने के लिए। सरकार ने फंड बनाने के साथ ही यह भी साफ कर दिया है कि इस फंड से पैसा बिल्डरों को सीधे नहीं मिलेगा। इस फ ंड की मदद से रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा कराने का काम एसबीआई कैपिटल्स की टीम करेगी।

दो कैटेगरी में होगा यह फं ड

इस अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फं ड की दो कैटेगरी बनाई गई हैं। इसकी शुरुआत में सरकार 2500 करोड़ रुपये देगी। वहीं बचे 10000 करोड़ रुपये के लिए एलआईसी और एसबीआई सहित सॉवरेन फं ड और पेंशन फ ंड भी पैसा लगा सकते हैं। हालांकि पैसा लगाने की सीमा फ ंड की सीमा से ज्यादा नहीं होगी।

इन प्रोजेक्ट को मिलेगा पैसा

इस फ ंड से बिल्डरों के हर फ ंसे प्रोजेक्ट को मदद नहीं की जाएगी। इस फ ंड का बेहतर इस्तेमाल हो, इसके लिए गाइडलाइन तय की गई हैं। हालांकि, एनपीए हो चुके और एनसीएलटी में चले गए प्रोजेक्ट भी अगर कुछ शतर्ें पूरी करते हैं तो इस स्कीम में शामिल होकर मदद ले सकते हैं। रांची में कई प्रोजेक्ट हैं, इन घरों के खरीदारों ने बिल्डरों को पूरा पैसा चुका दिया है, लेकिन अब तक उनको कब्जा नहीं मिल सका है। ऐसे फ ंसे प्रोजेक्ट में की मदद कर सही खरीदारों की मदद के उद्देश्य से यह फंड तैयार किया गया है।

ये है क्राइटेरिया

- प्रोजेक्ट झारखंड रेरा में रजिस्टर्ड हो

-पैसे के अभाव में प्रोजेक्ट रुका हो

-प्रोजेक्ट मध्य वर्ग के लोगों के लिए हो

-प्रोजेक्ट के तहत आवासीय इकाइयों की प्रति यूनिट मूल्य एक करोड़ से अधिक न हो

-प्रति इकाई मकान का क्षेत्रफल 200 वर्गमीटर से अधिक ना हो

Posted By: Inextlive