बॉलीवुड के एवरग्रीन स्टार कहे जाने वाले देव आनंद साब अब हमारे बीच नहीं हैं. हिंदुस्तानी सिनेमा में उनकी जगह कोई नहीं ले सकता है. अब उनकी यादें ही हमारे बीच बची रहेगी. ऐसे में हम आपको पढ़ा रहे हैं उनके साथ आई नेक्स्ट की हुई बातचीत जो अब हमारे लिए यादों का आर्काइव बन गया है.


‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया,’ लोग कहते हैं कि मैंने अपनी जिंदगी में भी इसी फिलॉसफी को फॉलो किया है. कहीं न कहीं ये सच भी है. आज मैं उम्र के उस पड़ाव पर हूं जहां पर प्रोफेशनल और  पर्सनल, दोनों तरह की जिंदगियों के काफी एक्सपीरियंसेज हो चुके हैं.

कुछ अच्छे कुछ बुरे


कुछ अच्छे और कुछ बुरे भी हैं और मैंने दोनों से ही काफी कुछ सीखा है. मुझे हर दिन यही लगता है कि मैं वहीं खड़ा हूं जहां से मैंने शुरुआत की थी क्योंकि इससे मुझे नई चीजें उसी पुराने जोश और जुनून के साथ सीखने को मिलती हैं. हर दिन एक नया एक्सपेरीमेंट है और 24 घंटे के दौरान कई सारी बातें आपको कुछ न कुछ सिखाती हैं. आपको जिंदगी का एक नया नजरिया मिलता है और ये नया नजरिया आपको जिंदगी जीने का एक नया रास्ता दिखाते हैं. मैं हर सेकेंड में कुछ न कुछ नया करने वाला शख्स हूं और सभी को ऐसा ही होना चाहिए. इन एक्सपेरीमेंट्स में आप फेल भी हो सकते हैं, लेकिन अगर आप इनसे वाकई में कुछ सीख सकें तो फिर ये किसी जैकपॉट से कम नहीं हैं.

कहीं न कहीं फिल्मों और जिंदगी के लिए मेरे प्यार की वजह से ही मैं खुद में इस तरह का विजन डेवलप कर पाया हूं. मैं उस जमाने का इंसान हूं जहां फोन भी मुश्किल से होते थे और अब मैं उस दौर में हूं जहां एक बटन पर पूरी दुनिया हाथों में हासिल हो जाएगी. मैंने टेक्नोलॉजी के साथ खुद को एडजस्ट किया. कभी मैं मोबाइल फोन भी नहीं रखना चाहता था, लेकिन आज मैं अपने सारे काम मोबाइल के जरिए ही करता हूं. मैंने हर बदलती सिचुएशन के साथ खुद को बदला है और मैंने ये सारी बातें यंगस्टर्स से ही सीखी हैं. सीखते रहें

अपनी कई फिल्मों में मैंने नए लोगों के साथ काम किया, कभी उनसे सीखा तो कभी अपने सफर में मौजूद आसपास के लोगों से कुछ सीखने की कोशिश की. मैं कई यंगस्टर्स से कभी फिल्मों के बहाने तो कभी ऐसे ही मिलता रहता हूं. आज के इंडियन यंगस्टर्स को जब अपने दौर के यंगस्टर्स से कंपेयर करता हूं तो हैरान रह जाता हूं. कितना कांपटीशन है आज और दिन पर दिन यह बढ़ता ही जा रहा है. ये सब देखकर सोचता हूं कि कहीं न कहीं ये सारी सिचुएशंन उन्हें कहीं अंदर ही अंदर परेशान न कर देती हों, लेकिन उन्हें इन सबसे निपटना भी काफी बेहतरी से आता है. हमारी फिल्में हर जगह देखी जाती हैदेश अब कई तरह से काफी आगे बढ़ चुका है और इकोनॉमिक फ्रंट की ही तरह अब ये फिल्ममेकिंग में भी वल्र्ड पॉवर बनने के रास्ते पर है. हमारी फिल्में पूरी दुनिया में देखी जा रही हैं. मेरे ख्याल से दूसरी इंडस्ट्रीज की तरह ही फिल्म इंडस्ट्री में भी मौजूद नौजवान पीढ़ी इसे आगे बढ़ाने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है. बॉलीवुड में कई ऐसे यंग फिल्ममेकर्स हैं जिनसे मैं मिला हूं और उन्होंने मुझे बताया कि वो मुझे अपना आइडियल भी मानते हैं. 90 के दशक में पहुंचने वाले इंसान के लिए भी इस उम्र में लोगों का आइडियल बने रहना काफी चैलेंजिंग है. रोज 10 घंटे काम कर सकता हूं
मुझे खुशी है कि मैं आज भी चैलेंजेस का सामना कर सकता हूं. कभी-कभी कुछ लोग मुझसे कहते हैं कि अब मुझे आराम करना चाहिए क्योंकि मैं बूढ़ा हो गया हूं, लेकिन पता नहीं क्यों मैं ऐसा न तो कहना चाहता हूं और न ही फील करना चाहता हूं. आज भी मेरी एक और फिल्म ‘चार्जशीट’ तैयार है और अब अगली स्क्रिप्ट पर सोचने का काम शुरू कर दिया है. मैं हमेशा जल्दी में रहता हूं क्योंकि समय बहुत तेजी से भाग रहा है. मुझे इसके साथ चलना है. आज भी मैं एक दिन में 10 घंटे तक काम कर सकता हूं. मैं बस यही कहना चाहता हूं कभी उम्र को अपने ऊपर हावी मत होने दीजिए. जिंदगी जीने का सिर्फ एक फॉर्मूला है, ‘फील यंग एंड फील गुड,’ और ये फॉर्मूला आपको कई साल तक जवान रख सकता है.(As told to Recha Bajpai)

Posted By: Recha Bajpai