-आई नेक्स्ट ने उठाया मुद्दा, हरकत में आया मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन

-मानसिक रोग की रिपोर्ट में फिट, पर डिस्चार्ज नहीं

-एसआईसी ने डॉ। सीपी मल्ल से मांगा जवाब

GORAKHPUR: रसूख के दम पर कई कैदी गोरखपुर जेल में सजा काटने के बजाए मेडिकल कॉलेज में मौज काट रहे हैं। इनकी बीमारी का आखिर इलाज क्या है और कब तक चलेगा? यह बात डॉक्टर को भी नहीं मालूम है। कुछ ऐसा ही मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट बयां कर रही थी। मेडिकल कॉलेज और गोरखपुर जेल के ढुलमुल रवैये के कारण पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी, मधुमणि त्रिपाठी समेत आधा दर्जन कैदी पिछले कई माह से मेडिकल कॉलेज में बीमारी के नाम पर मौज की जिंदगी जी रहे हैं। इस हकीकत का जब आई नेक्स्ट ने खुलासा किया तो सभी के होश उड़ गए। आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने कार्रवाई तो शुरू की, मगर इनको भेजने के लिए नहीं क्योंकि रिपोर्ट में फिट करार देने के बावजूद कई ऐसे पेंच फंसा दिए हैं, जिससे इन सभी कैदियों का वापस जेल जाना मुश्किल है।

क्या लिखा है पत्र में

हत्या जैसे जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमरमणि त्रिपाठी, मधुमणि त्रिपाठी, गोपाल यादव, राम मिलन यादव, राम नारायण यादव और मार्कडेय शाही बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पिछले कई माह से एडमिट हैं। आई नेक्स्ट ने इस पूरे मामले की जांच-पड़ताल कर जब खुलासा किया तो मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन के होश उड़ गए। हॉस्पिटल के एसआईसी डॉ। रामयश यादव ने आनन-फानन में प्राइवेट वार्ड में एडमिट अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की मेडिकल रिपोर्ट को मंगा लिया। जिसमें इलाज कर रहे डॉ। सीपी मल्ल ने साफ लिखा है कि वे दोनों फिट हैं। मगर उनका अन्य स्पेशलिस्ट की देखरेख में भी इलाज चल रहा है। इसलिए उन्हें डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता। इस पूरे मामले में एक बार फिर डॉ। रामयश यादव ने डॉ। सीपी मल्ल से जवाब मांगा है कि अगर अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी फिट है तो उन्हें आपकी ओर से डिस्चार्ज क्यों नहीं किया गया? अब देखना यह होगा कि डॉ। सीपी मल्ल का जवाब पिछली बार से कितना अलग होगा?

आई नेक्स्ट ने उठाया था मुद्दा

हत्या जैसे संगीन दोष में रसूखधारी आधा दर्जन लोग गोरखपुर जेल में बंद हैं। मगर ये सभी बीमारी के नाम पर मेडिकल कॉलेज में अपनी जिंदगी आराम से काट रहे हैं। जबकि इनको ऐसी कोई गंभीर बीमारी नहीं है, जिसके लिए उन्हें महीनों से मेडिकल कॉलेज में एडमिट रखा जाए। इस पूरे मामले को आई नेक्स्ट ने क्0 दिन तक पड़ताल करने के बाद फ् अप्रैल को 'बीमारों की बादशाहत' हेडिंग से न्यूज पब्लिश की। इसमें उम्र कैद की सजा काट रहे आधा दर्जन कैदियों की बीमारी के साथ उनकी लाइफ स्टाइल के बारे में भी बताया गया था। इस पूरे मामले के पब्लिश होते ही जहां शहर में हड़कंप मच गया था वहीं मेडिकल कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन आनन-फानन में कागजी कार्रवाई करने में जुट गया था।

वर्जन-

अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की मेडिकल रिपोर्ट देखी गई है। जिसमें डॉ। सीपी मल्ल ने दोनों को फिट करार दिया है। मगर डिस्चार्ज नहीं किया। पत्र लिख कर डॉ। सीपी मल्ल से डिस्चार्ज न करने का जवाब मांगा गया है। जवाब मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। रामयश यादव, एसआईसी नेहरू चिकित्सालय

Posted By: Inextlive