चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान नील आर्म्सट्रांग और उनके सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों को लेकर जाने वाले अपोलो-11 चंद्रयान के राकेट के पांच इंजन प्रशांत महासागर के तल पर पाए गए हैं.


वेबसाइट 'स्पेस डॉट कॉम' के मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (नासा) द्वारा 16 जुलाई, 1969 को छोड़े गए सैटर्न-वी रॉकेट के इंजनों को हाल ही में खोजा गया है.इन इंजनों का इस्तेमाल अपोलो-11 के लिए पावर-बूस्टर के रूप में किया गया था. पहले चरण के सम्पन्न होने के बाद यह रॉकेट मुख्य रॉकेट से अलग हो गया था और समुद्र में गिर गया था. इसके बाद इसे खोजने की कोशिश हुई लेकिन इस सम्बंध में सभी प्रयास नाकाम रहे.अमेजन डॉट काम के संस्थापक अरबपति व्यवसायी जेफ बेजोस ने हाल ही में एक निजी खोज अभियान के अंतर्गत इन इंजनों को खोज निकाला. बेजोस के मुताबिक ये अपोलो-11 की ऐतिहासिक यात्रा के गवाह रहे एफ-1 रॉकेट इंजन सही स्थिति में हैं और अब इन्हें निकालकर, दुरुस्त करके आम लोगों के देखने के लिए रखा जाएगा.


बेजोस ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, "ये इंजन 14,000 फुट की गहराई पर पाए. गए अब हम इनमें से एक या दो को बाहर लाने और उन्हें दुरुस्त करने का कार्यक्रम बना रहे हैं. हम चाहते हैं कि लोग इन ऐतिहासिक वस्तुओं को देखें."

नासा ने अपोलो-11 के लिए बेहद शक्तिशाली इंजन बनाए थे. आज जबकि अपोलो के प्रक्षेपण के 40 साल से अधिक समय बीत चुका है, सैटर्न-वी सबसे शक्तिशाली मानव निर्मित रॉकेट बना हुआ है. इसमें पांच 12.2 फुट (3.7 मीटर) चौड़े एफ-1 इंजन लगाए गए थे.  इंजन की ऊंचाई 18.5 फुट (5.6 मीटर) के बराबर थी. इन इंजनों से 15 लाख पौंड का थ्रस्ट पैदा होता था. यह 3.2 करोड़ हॉर्सपॉवर के बराबर है.

Posted By: Kushal Mishra