- हर जिले में 70 परसेंट से अधिक 102 नंबर एम्बुलेंस गाडि़यां सर्विस में नहीं

- सर्विसिंग होने के बाद फिर से खराब हो गई एम्बुलेंस, लापरवाह है स्वास्थ्य समिति

PATNA : पटना समेत बिहार के विभिन्न जिलों में क्0ख् नंबर एम्बुलेंस की सर्विस खस्ताहाल हो गई है। गर्भवती महिलाओं, बीपीएल और बुजुर्गो के लिए फ्री सर्विस मुहैया कराने के मकसद से शुरू की गई क्0ख् नंबर एम्बुलेंस की सैंकड़ों गाडि़यां सर्विस में न होकर विभिन्न जिलों की गैरेज में पड़े -पड़े जंग खा रही हैं। आलम यह है कि एक ओर जरूरतमंद गरीब पेशेंट प्राइवेट एम्बुलेंस की मनमर्जी सहने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर सर्विस सेंटर से गाड़ी नहीं निकाले जाने के कारण लाखों रुपए का नुकसान भी हो रहा है। अकेले पटना में ही भ्0 से अधिक ऐसी गाडि़यां सर्विस सेंटर में ही है।

ये था प्लान

स्वास्थ्य समिति की ओर से बड़े उत्साह के साथ अप्रैल, ख्0क्ख् में क्0ख् नंबर एम्बुलेंस की सर्विस राज्य स्तर पर शुरू की गई। कांट्रेक्ट के मुताबिक ख्000 किलोमीटर प्रतिमाह परिचालन पर एक लाख ब्0 हजार रुपए कंपनी को दिया जाता था। प्रति गाड़ी परिचालन के लिए दो ड्राइवर, दो इएमटी यानि इमरजेंसी मेडिकल टास्क स्टाफ नियुक्त किए गए थे। दो प्रखंड पर एक ड्राइवर और इएमटी रीलीवर पर कार्यरत थे। प्रति ड्राइवर आठ हजार रुपए, प्रति ईएमटी साढ़े आठ हजार रुपए, रिलीवर को 8ख्भ्0 हजार रुपए, तेल का खर्च आठ रुपए प्रति किलोमीटर तय किया गया था। वहीं, मेनटेनेंस पर करीब दस हजार रुपए भी निर्धारित किया गया था।

सर्विस सेंटर में एम्बुलेंस को छोड़ा

तकरीबन ख्ख् माह के बाद एम्बुलेंस संचालक इसे छोड़कर भाग गए। सूत्रों के अनुसार गाडि़यों की मेनटेनेंस होने के बाद उसकी कोई जिम्मेवारी नहीं ले रहा। जबकि विभिन्न सर्विस सेंटर की ओर से कई बार इस संबंध में जैन ऑन वीडियो व्हिकल, डीएचएस, राज्य स्वास्थ्य समिति और संबंधित अधिकारियों को लिखा गया। इसके बावजूद किसी भी पक्ष से कोई रिप्लाई नहीं आया। नतीजतन, सर्विस सेंटर में गाडि़यां बन जाने के बाद भी खराब स्थिति में आ गई।

मुनाफा कम्पनी का, परेशानी पब्लिक की

क्0ख् नंबर एम्बुलेंस की सैंकड़ों गाडि़यों के अधिकांश रूट पर नहीं चलने और कॉल सेंटर के बंद होने के कारण आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। प्राइवेट एम्बुलेंस मनमाना पैसा वसूला करते हैं। इनका कोई फिक्स रेट नहीं होता है। जब तक यह जैन ऑन वीडियो व्हिकल के अधीन चला तब गया तक जबरदस्त मुनाफा में रहा। बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सेक्रेटरी जेनरल विश्वनाथ सिंह ने इसका आंकलन करते हुए बताया कि यह अपनी शुरुआत से लेकर ख्ख् माह तक चला। इस दौरान इसका शुद्ध मुनाफा 8भ् करोड़ ब्म् लाख म्7 हजार हुआ, लेकिन जिस लक्ष्य को लेकर चला था वह हासिल नहीं हो सका।

समिति का करेंगें घेराव

क्0ख् एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रवक्ता विजय बहादुर तिवारी ने कहा कि एम्बुलेंस ड्राइवर, ईएमटी, का वेतन पिछले आठ माह से बकाया है। कॉल सेंटर के कर्मचारियों आदि का भी वेतन बकाया है.इस बाबत कई बार श्रमायुक्त को लेटर लिखा गया है। कोर्ट में भी देय बकाया राशि के लिए गुहार लगायी गयी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

डिलिवरी और एक्सीडेंट केसेज प्रभावित

क्0ख् एम्बुलेंस सर्विस के खस्ताहाल होने के कारण सबसे अधिक डिलिवरी व एक्सीडेंट केसेज प्रभावित हुए हैं। पीएमसीएच में ही कम से कम क्भ्-ख्0 केसेज हर दिन रोड एक्सीडेंट के आते हैं। यहां आने वाले पेशेंट के लिए दिक्कत है कि प्राइवेट एम्बुलेंस में पैसा भले ही अधिक लगता है लेकिन उसमें क्0ख् जैसी एडवांस लाइफ सपोर्ट की सुविधा नहीं होती है।

राज्य स्वास्थ्य समिति भी चुप

जानकारी हो कि इसमें बकाया पैसे का मामला तूल पकड़ लिया है। इस संबंध में अब बकाया राशि की अदायगी राज्य स्वास्थ्य के जिम्मे है, लेकिन इसे लेकर बार-बार संपर्क करने के बावजूद अब तक कोई जबाव नहीं आया है। समिति के पास लाखों रुपए बकाया हो गया है। उधर, इस कारण सर्विस सेंटरों को लाखों रुपए का घाटा उठाना पड़ रहा है।

नई गाडि़यां लेकिन ड्राइवर नहीं

पहले चरण की गाडि़यों के खराब होने और वर्कशाप में पड़ी खराब गाडि़यों के कारण ख्म्म् नई गाडि़यों की खरीद की गई, लेकिन ड्राइवरों और इएमटी इमरजेंसी टेक्निशन की कमी की वजह से कई एम्बुलेंस खड़ी हैं। फिलहाल नई गाडि़यों को ड्राइवरों का इंतजार है।

बेटी को डिलेवरी के लिए ले जाना था, तो प्राइवेट एम्बुलेंस से पीएमसीएच आना पड़ा। सरकारी सर्विस तो मिलती ही नहीं।

- असलम, पटना सिटी

क्0ख् नंबर एम्बुलेंस सर्विस बंद हो जाने के बाद से आम तबके खासकर गरीब पेशेंट को सरकारी अस्पताल पहुचाने में काफी प्राब्लम होती है। एम्बुलेंस चालक मनमानी करते हैं।

-मिंटू शर्मा, नौबतपुर

Posted By: Inextlive