Amir Khan's strength is his hard work & his belief in himself.


क्रिएटिव आमिर खान ह्यूमैनिटी और केयर में बिलीव करते हैं. यही फेथ उनकी स्ट्रेंथ है. वे हार्ड वर्क को इंपॉर्टेंट मानते हैं मगर डेस्टिनी परं यकीन नहीं करते मैं स्पिरिचुअल हूं या नहीं पता नहीं है, इसलिए इसके बारे में मैं कुछ कह भी नहीं सकता. हां, इतना जरूर है कि मैं डेस्टिनी परं यकीन नहीं करता. मुझे लगता है कि हम जो कुछ करते है रिजल्ट भी हमें उसी का मिलता है. जिस काम को करता हूं उसमें अपना सौ परसेंट देता हूं और इसके बाद जो रिजल्ट आता है, वह मेरा डेस्टिनी नहीं होता है.


मैं ह्यूमैनिटी और केयर में बिलीव करता हूं. अगर मैं देखूं कोई उदास या दुखी है तो मैं डिस्टर्ब हो जाता हूं. मेरी मदर ने सिखाया है कि आपकी वजह से कभी भी किसी को दुख नहीं पहुंचना चाहिए. आपकी वजह से कोई उदास नहीं होना चाहिए. आज भी उसका असर मुझ पर है.

12 साल की एज में मैं अच्छा टेनिस प्लेयर था आम तौर पर मैं जीतता था, जब घर पहुंचता तो मम्मी गेट पर इंतजार करतीं और पूछतीं ‘जीते या हारे’, मैं बताता- मैं जीत गया. हमेशा 5-10 मिनट के बाद मम्मी कहती, ‘अच्छा, जो लडक़ा हारा होगा उसको कैसा लग रहा होगा? ...और उसकी मां को दुख हो रहा होगा या नहीं’. मैं ये सोच कर दुखी हो जाता था कि मैंने उसे क्यों हराया, उसकी मम्मी और वो उदास होंगे. मैं उसके इमोशन में चला जाता था. मेरा ये स्ट्रांग इमोशन है कि मेरी वजह से कोई दुखी या हर्ट न हो. कई बार हो भी जाते हैं, पर मेरी कोशिश यही रहती है कि ऐसा न हो. यही एटिट्यूड मुझे स्ट्रेंथ देता है.

Posted By: Surabhi Yadav