कहीं और नहीं दिखेगा भाईचारे का ऐसा उदाहरण

आज नहीं उठेगा नकास कोहना से मेंहदी का जुलूस

ALLAHABAD: भाईचारे और अमन चैन की खुशबू से इन दिनों धीरे-धीरे पूरा इलाहाबाद गमक रहा है। अमन की पहल ऐतिहासिक चौक ताजिया कमेटी से हुई थी। दशहरा और मोहर्रम एक साथ पड़ने की वजह से नवीं और दसवीं को मुहर्रम का जुलूस न उठाने का निर्णय लेकर। धीरे-धीरे शहर की कई ताजिया और मेहंदी जुलूस कमेटियां इस निर्णय में शामिल हो चुकी हैं। जिसकी चारों तरफ सराहना हो रही है। वहीं पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी प्रेशर फ्री हैं। गंगा-जमुनी-तहजीब की एक गजब की लहर चल रही है।

रानीमंडी से नहीं उठा रसूलपुर का आलम

ऐतिहासिक मोहर्रम कमेटी रानीमंडी की ओर से हर साल मोहर्रम की तीसरी तारीख पर रसूलपुर का आलम उठाया जाता है, जुलूस मिट्टी लेने दरियाबाद जाता है। लेकिन इस साल दशहरा और मोहर्रम एक साथ पड़ने की वजह से इस साल रसूलपुर का जुलूस नहीं उठाया गया। डा। मो। असलम ने बताया कि अपने इलाहाबाद में साम्प्रदायिकता एकता बनी रहे, शांति कायम रहे, भाईचारा बनी रहे इसलिए यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। जुलूस न निकाल कर 72 शहीदों की याद में इमामबाड़ा रसूलपुर पर नियाज फातेहा हुई। इस दौरान मो। अहमद खां, जुल्फेकार खां, मो। हाफीज खां आदि मौजूद रहे।

तीसरी मोहर्रम की तरह चौथी मोहर्रम को ताड़ीखाना नकासकोहना से देर रात में मेंहदी का जुलूस निकाला जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। लेकिन, दशहरा की वजह से नकास कोहना से उठने वाला मेंहदी का जुलूस भी नहीं उठाए जाने का निर्णय लिया गया है। ताजियादार मो। साबिर, मो। हफीज खां, डा। मोहम्मद असलम, मो। यासीन की मौजूदगी में दशहरा-मोहर्रम एक साथ पड़ने की वजह से रविवार को मेहंदी का जुलूस न उठाने का निर्णय लिया गया।

ताराबाबू की गली से भी नहीं उठेगा मेहंदी का जुलूस

नवजवान मोहर्रम मेंहदी कमेटी ने भी शहर की गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखने के लिए तारा बाबू की गली की ऐतिहासिक मेंहदी का जुलूस मोहर्रम की छठवीं तारीख को न उठाए जाने का निर्णय लिया गया है। कमेटी के अध्यक्ष मो। जिया सिद्दीकी ने बताया कि मेंहदी का जुलूस बहादुरगंज, गज्जू-बज्जू इमामबाड़ा से उठकर बताशामंडी, लोकनाथ कोतवाली, नखास कोहना, अहमदगंज होते हुए बक्शी बाजार स्थित तारा बाबू की गली इमामबाड़ा पर रखी जाती है।

Posted By: Inextlive