इस बार का दिल्‍ली विधानसभा चुनाव कई मायनों में अलग रहा. केजरीवाल और उनकी 'आप' पार्टी ने जबर्दस्‍त प्रदर्शन करते हुये इसे ऐतिहासिक दर्जे का रूप दे दिया. इस इलेक्‍शन में कई आंकड़े ऐसे हैं जिन्‍होंने इतिहास रच डाला. केजरीवाल की भारी बहुमत वाली जीत हो या फिर बीजेपी का घटिया प्रदर्शन. इन आंकड़ों पर नजर डालें तो यह साफ जाहिर होता है कि जनता जिसे चाहे फर्श से अर्श पर या फिर अर्श से फर्श पर पहुंचा सकती है.

कांग्रेस का रिकॉर्ड तोड़ा
अरविंद केजरीवाल की 'आप' पार्टी ने इस बार पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुये नया कीर्तिमान रच दिया. साल 1993 से लेकर अभी तक के रिकॉर्ड पर नजर डालें, तो पहली बार किसी पार्टी ने 67 का जादुई आंकड़ा छुआ है. इससे पहले यह रिकॉर्ड कांग्रेस के नाम था, जिसने 1998 में 52 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा 1993 में बीजेपी ने 49 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं कांग्रेस ने 2003 में 47 और 2008 में 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2013 में फिर से बीजेपी ने सबसे ज्यादा 31 सीटें हासिल की थीं. वहीं दूसरी ओर पिछले 22 सालों से बीजेपी की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली कृष्णा नगर सीट पर भी इस बार आप ने कब्जा जमा लिया. बता दें कि कृष्णानगर से किरन बेदी चुनाव लड़ रही थीं, जिन्हें आप के एस.के.बग्गा ने हराया.

केजरी ने झाड़ू लगाकर की सफाई
जैसा कि अनुमान लगाया जा रहा था कि, यह चुनाव बीजेपी और आप के बीच का है और इस लड़ाई में बीजेपी को आप की तरफ से कड़ी टक्कर मिल सकती है. हालांकि ऐसा हुआ भी, लेकिन तस्वीर कुछ अलग ही बनी. लोस चुनावों में देश की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को इस बार तगड़ा झटका लगा. चुनावों से पहले बड़ी-बड़ी बयानबाजी करने वाले बीजेपी नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा. फिलहाल दिल्लीवालों ने अपने सच्चे आशिक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता सौंपकर अच्छे दिन आने का सपना देखना शुरु कर दिया.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari