- अपने जेब खर्च को जोड़कर बनाया फायदेमंद मेट्रो का मॉडल

- B-tech के दो स्टूडेंट्स की मेट्रो में हैं खूबियां ही खूबियां

- लखनऊ मेट्रो में देना चाहते हैं अपना योगदान

- आग पर काबू पाने की उम्दा तकनीक से लैस है यह मॉडल

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LUCKNOW: इनका नाम है आनंद और हसन। ये हैं लखनऊ के 'मेट्रोमैन'। अपने जेब खर्च को जोड़कर इन्होंने लखनऊ मेट्रो का एक मॉडल तैयार किया है जो पब्लिक के लिए काफी फायदेमंद है। इन्होंने मेट्रो स्टेशन का इंट्रेंस गेट भी तैयार किया है जो पीवीसी मैगनेटिक कार्ड के थ्रू ऑपरेट होगा। इनके बनाए मॉडल में कई खूबियां हैं, जिन्हें खूब सराहा जा रहा है। ये दोनों वे मेट्रोमैन के नाम से विख्यात ई श्रीधरन से मुलाकात करना चाहते हैं।

जानें परिचय

सुल्तानपुर के दो अलग-अलग गांव के आनंद पांडेय और हसन रजा ने अमेठी के मुंशीगंज स्थित राजर्षि रणंजय सिंह कॉलेज से बीटेक करने के बाद फिलहाल मेट्रो ट्रेन प्रोटो टाइप प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इन दोनों ने काफी मेहनत करके एक बेहतरीन मॉडल भी तैयार किया है।

चढ़ा पारा तो होगी बारिश

इन होनहारों ने ट्रेन के ऊपर टैंक लगाया है। इसका पानी इमरजेंसी में काम आता है। ट्रेन का टेम्प्रेचर अगर बढ़ता है तो न सिर्फ ऑटोमेटिक ट्रेन के दरवाजे खुल जाएंगे और सायरन बजने लगेगा बल्कि ट्रेन के अंदर बारिश भी शुरू हो जाएगी। यह पानी रिसाइकिल होने के बाद दोबारा टैंक में पहुंच जाएगा। यह प्रक्रिया तब तक होती रहेगी जब तक आग पर कंट्रोल न कर लिया जाए।

ड्राइवरलेस है ट्रेन

यह ट्रेन ड्राइवर लेस है। यह सेंसर के बेस पर काम करेगी। मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में तैयार इस ट्रेन को फिलहाल चार स्टेशनों की डिटेल फीड की गयी है। इसमें चारबाग, हुसैनगंज, सिक्रेटिएट और हजरतगंज स्टेशन शामिल है। ट्रेन को स्टार्ट करने के लिए कोडिंग सिस्टम बनाया गया है। चार डिजिट का कोड इंटर करते ही ट्रेन मौजूदा स्टेशन के साथ अगले स्टेशन के बारे में एनाउंस करती है और चल पड़ती है। स्टेशन पर ब्लैक स्ट्रिप के सेंसर को रीड कर ट्रेन रुक जाती है और उसके गेट ओपेन हो जाते हैं।

दस हजार रुपये में तैयार किया प्रोजेक्ट

इस मॉडल मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए इन दोनों स्टूडेंट्स ने दस हजार रुपये खर्च किये हैं। यह तब है जो जुगाड़ का पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया है। यानी जो सेंसर ढाई हजार से तीन हजार रुपये तक का मिलता है उसे सिर्फ ख्भ् रुपये खर्चकर ट्यूबलाइट फोड़कर उसके फ्यूज से बनाया है। वहीं, मेट्रो के गेट के लिए कम्प्यूटर की सीडी ड्राइव का इस्तेमाल किया गया है।

स्टेशन के लिए ऑटोमेटिक डोर

आनंद और हसन ने मेट्रो ट्रेन के साथ स्टेशन का इंट्रेंस गेट भी तैयार किया है जो मैग्नेटिक पीवीसी कार्ड पर काम करेगा। कार्ड में बैलेंस रहेगा तभी गेट खुलेगा नहीं तो कार्ड लगाते ही सायरन बजने लगेगा। इसमें भी गेट की जगह सीडी ड्राइव का यूज किया गया है और गेट को ऑपरेट करने के लिए अपना सर्किट भी डेवलप किया है।

मेट्रोमैन से मिलने की ख्वाहिश

आनंद और हसन की ख्वाहिश मेट्रोमैन ई श्रीधरन से मिलने की है। इनको वे अपना प्रोजेक्ट दिखाना चाहते हैं। साथ ही लखनऊ मेट्रो के लिए भी यह अपना योगदान देना चाहते हैं। हसन का कहना है कि हमने अपनी जेब खर्च से कटौती कर सिर्फ एक मॉडल तैयार किया है, जिसे पैसा खर्चकर काफी इम्प्रूव किया जा सकता है। उधर, आनंद का कहना है कि हम लोग चाहते हैं कि सिर्फ मेट्रो में ही नहीं बल्कि इमरजेंसी बारिश के सिस्टम को देश में चलने वाली सभी ट्रेनों में लगाया जाए। इससे आग लगने पर होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।

Posted By: Inextlive