एक हादसे के चलते राजनीति में आ गई थीं आनंदीबेन, पढ़ें राजनीतिक सफरनामा
राजनीति में आना एक इत्तेफाक :-
आनंदीबेन पटेल का राजनीति में आना सिर्फ एक इत्तेफाक था। साल 1987 में उन्होंने सरदार सरोवर में डूब रही दो लड़कियों की जान बचाकर अपनी हिम्मत का परिचय दिया था। इसेक लिए आनंदीबेन को राष्ट्रपति की तरफ से वीरता पुरस्कार भी मिला। दूसरों के लिए हमेशा तत्पर खड़ी रहने वाली आनंदीबेन के इस काम से भारतीय जनता पार्टी काफी प्रभावित हुई। बाद में उन्हें पार्टी में शमिल होने का न्योता मिला और आनंदीबेन को गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। बस यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई।
राज्य में शिक्षा मंत्री का पदभार संभाला :-
वर्ष 1998 में गुजरात विधानसभा चुनाव जीतकर उनका रुख राज्य की तरफ हो गया था। वह गुजरात की अकेली ऐसी महिला विधायक रहीं जो लगातार चार बार विजयी होकर गुजरात विधानसभा तक पहुंची। गुजरात में केशुभाई पटेल की सरकार में आनंदीबेन ने शिक्षा मंत्री व महिला व बाल विकास मंत्रालय भी संभाला। इसके बाद वह लगातार 2014 तक विधायक रहीं।
2014 में बनीं गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री :-
साल 2014 में नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद गुजरात सीएम की कुर्सी खाली हो गई। ऐसे में गुजरात में पटेल समुदाय का भारी बहुमत देखते हुए आनंदीबने पटेल को पहली बार सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई। आनंदीबेन ने गुजरात की 15वीं मुख्यमंत्री बनीं। दो साल तक मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाने के बाद उन्हानें और 1 अगस्त 2016 को इस्तीफा दे दिया।