Anant Chaturdashi 2020: अनंत चतुर्दशी का पर्व 1 सितंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन विशेष संयोग बन रहा है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्‍णु का पूजन व व्रत करने से पांच गुना फल मिलेगा।

कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Anant Chaturdashi 2020: स्कन्द, ब्रह्म एवं भविष्यादि पुराणों के अनुसार यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं कथा होती है। इसमें उदय व्यापिनी तिथि ग्रहण की जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। यदि मध्यान्ह काल तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा अच्छा होता है।इस दिन 1 सितम्बर 2020 को सूर्योदय से प्रातः 9:39 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी तदोपरांत पूर्णिमा लग जायेगी जोकि 02 सितेम्बर 2020 तक रहेगी।

पंचक लगने से मिलेगा पांच गुना फल
इस बार चतुर्दशी तिथि के साथ पूर्णिमा का यह योग 01 सितेम्बर 2020,मंगलवार को घटित हो रहा है इस दिन पंचक भी है पंचक किसी भी फल को 5 गुणा अधिक देने में सहायक होती है इस धनिष्ठा नक्षत्र सांय 4:38 बजे तक रहेगा जोकि शुभ फल देने वाला 23 वां नक्षत्र होता है अत: इस योग में पूजा पाठ का पांच गुणा अधिक फल प्राप्त होगा इस विशिष्ट योग में अनन्त चतुर्दशी व्रत के साथ विष्णुजी की पूजा का कई गुना फल प्राप्त होगा। इस व्रत के नाम से लक्षित होता है कि यह दिन अन्त न होने वाले सृष्टि के कर्ता, निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का दिन है। यह व्रत पुरूषों द्वारा किया जाता है, व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।

कैसे करें पूजा
इस दिन व्रती को कलश की स्थापना करके, उस पर अष्टदल कमल के समान बर्तन में कुश से निर्मित अनन्त की स्थापना की जाती है, इसके पास कुमकुम, केसर अथवा हल्दी से रंगे कच्चे डोरे को रखकर उसकी गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध से पूजन करें। तत्पश्चात् अनन्त भगवान का ध्यान कर शुद्ध अनन्त को अपनी दाहिनी भुजा पर बांधना चाहिए। यह धागा अनन्त फल देने वाला होता है, अनन्त की 14 गांठे, 14 लोकों की प्रतीक हैैं, उनमें अनन्त भगवान विद्यवान हैं, यह दिन उस अन्त न होने वाले सृष्टि के कर्ता भगवान विष्णु की भक्ति का दिन है। निम्नलिखित मंत्र पढ़ कर पूजा करनी चाहिए, ये विष्णु कृपा रूप है और शेषनाग काल में विद्यमान हैं। अत: दोनों की सम्मिलित पूजा हो जाती है।

मंत्र- अनन्त सर्व नागानामधिप: सर्वकामद:
सदा भूयात् प्रसन्नोमे यक्तानाम भयंकर:।।

यह व्रत धन, पुत्रादि की कामना से विशेष किया जाता है।

ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari