- सरस्वती विद्या मंदिर नथुआवाला की अनंता सकलानी ने 10वीं में 99 प्रतिशत मा‌र्क्स के साथ किया टॉप

- 8वीं तक निजी स्कूल में पढ़ने के बाद विद्या मंदिर से की पढ़ाई

- उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं के रिजल्ट में विद्या मंदिर के स्कूल्स का दबदबा

DEHRADUN: सरस्वती विद्या मंदिर नथुआवाला देहरादून की अनंता सकलानी ने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में 10वीं में 99 प्रतिशत मा‌र्क्स के साथ टॉप किया है. अनंता ने 10वीं में टॉप कर दून के निजी स्कूलों को आईना दिखाने का भी काम किया है.

आईएएस बनना है अनंता का सपना

अनंता ने बताया कि उन्होंने 8वीं तक की पढ़ाई दून इंटरनेशनल स्कूल से की, इसके बाद उन्होंने विद्या मंदिर को चुना. अनंता ने बताया कि विद्या मंदिर के स्कूलों में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं संस्कार भी सिखाए जाते हैं. जिस तरह का माहौल घर में होना चाहिए, उसी तरह की शिक्षा विद्या मंदिरों में दी जाती है. अनंता ने बताया कि वह 12वीं में साइंस स्ट्रीम से ही पढ़ाई करेंगी. इसके बाद हायर एजुकेशन आर्ट स्ट्रीम से करना चाहती हैं, उनका सपना आईएएस बनकर देश की सेवा करना है. अनंता सकलानी पढ़ाई के साथ-साथ डांस और पेंटिंग में भी विशेष रुचि रखती हैं. अनंता कहती हैं कि वह खाली समय में पेंटिंग करती हैं.

अनंता के परिवार में शिक्षकों का बोलबाला

अनंता के पिता प्रशांत और माता सुनीता ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को कुछ पारिवारिक परिस्थितियों के कारण नौवीं में सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज नथुआवाला में एडमिशन कराया. उन्होंने कभी अपनी बेटी को किसी भी चीज के लिए फोर्स नहीं किया. इस फैसले में भी अंनता की हामी रही. अनंता के पिता प्रशांत सकलानी रायपुर ब्लॉक के सिल्ला जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक हैं, जबकि माता राजपुर ब्लॉक में ही भोपालपानी स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं. अनंता के पैरेंट्स दोनों सरकारी स्कूलों में शिक्षक हैं. दादा देवेंद्र दत्त सकलानी भी सेवानिवृत्त शिक्षक के अलावा सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. अनंता की बुआ मनीषा भी शिक्षक हैं. इस तरह से पूरे परिवार में शिक्षकों का बोलबाला है.

सरकारी स्कूलों से आगे विद्या मंदिर

उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं व 12वीं के परिणाम में विद्या मंदिर के स्कूलों का दबदबा रहा है. 10 वीं की मेरिट लिस्ट में 219 बच्चों में 107 विद्या मंदिर से हैं, जबकि 12वीं की मेरिट लिस्ट में शामिल 100 बच्चों में 45 विद्या मंदिर से है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि विद्या मंदिरों का प्रदर्शन सरकारी स्कूलों की तुलना में कितना आगे निकला है. सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग की पूरी मशीनरी जुटकर भी रिजल्ट को नहीं सुधार पाई है, जबकि विद्या मंदिर कम संसाधनों में भी बच्चों को बेहतर शिक्षा और माहौल देकर होनहार स्टूडेंट्स दे रहे हैं.

टॅाप थ्री से मैदानी जिले आउट

बोर्ड रिजल्ट में एक बार फिर पहाड़ी जिलों ने मैदानी जिलों को काफी पीछे छोड़ दिया है. रिजल्ट में भी पहाड़ के दूर दराज क्षेत्रों के स्टूडेंट्स का बेहतर प्रदर्शन रहा है, जबकि मैदानी जिलों के स्टूडेंट्स फिसड्डी साबित हुए, हालांकि मेरिट में देहरादून ने पिछले 10 वर्षो का रिकॉर्ड तोड़ा हैं. 10 वीं की मेरिट में देहरादून के 15 बच्चों को जगह मिली है, जिन मैदानी जिलों में शिक्षक और अधिकारी ट्रांसफर के लिए दौड़ लगाते रहते हैं, उनकी परफॉरमेंस काफी निराशाजनक रही है. देहरादून, ऊधमसिंहनगर व हरिद्वार की तुलना में अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, टिहरी, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी जिले का प्रदर्शन बेहतर रहा.

टॉप थ्री

जिलेवार पासिंग परसेंटेज-

10वीं

जनपद पासिंग परसेंटेज

बागेश्वर 85.99

पिथौरागढ़ 84.51

रुद्रप्रयाग 83.37

12वीं

जनपद पासिंग परसेंटेज

चंपावत 92.69

अल्मोड़ा 88.72

बागेश्वर 88.55

Posted By: Ravi Pal