हमारी धरती पर पहली बार ऑक्‍सीजन का बनना कब शुरु हुआ इसको लेकर वैज्ञानिक जो कुछ भी मानते थे। अब वो गलत साबित हो चुका है। लंदन में हुई नई रिसर्च के मुताबिक धरती पर करीब 3.6 अरब साल पहले ही प्रकाश-संश्लेषण के जरिये कई सूक्ष्म जीवों ने ऑक्सीजन का निर्माण करना शुरु कर दिया था। धरती पर जीवन की शुरुआत से जुड़ी यह नई जानकारी काफी अहम मानी जा रही है।

धरती पर ऑक्सीजन की उत्पत्ति से जुड़ी नई खोज

आज से करीब 3.6 अरब साल पहले ही धरती पर ऑक्सीजन का बनना शुरू हो गया था। ब्रिटेन में इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक रिसर्च में यह बात सामने आई है। अब तक वैज्ञानिक मान रहे थे कि 'साइनोबैक्टीरिया' ऑक्सीजन का निर्माण करने वाले पहले सूक्ष्म जीव थे, लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक, इनके आने से करीब एक अरब साल पहले ही हमारी धरती पर ऑक्सीजन का प्रोडक्शन होना शुरु हो गया था। इसी कारण अरबों साल तक यहां सूक्ष्म जीवों की तमाम प्रजातियां लगातार विकसित होती रह सकीं। Heliyon जर्नल में छपी इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने कहा है कि पॉसिबल है कि धरती पर जीवन की शुरुआत के आरंभिक दौर में ही ऑक्सीजन का निर्माण होने लगा था। इस शोध के बाद ऑक्सीजन निर्माण से जुड़े सभी विवाद भी खत्म हो सकते हैं।


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धरती पर ऑक्सीजन के मेन सोर्स की एनालिसिस से खुला राज

धरती पर ऑक्सीजन का एकमात्र सोर्स प्रकाश-संश्लेषण ही है, जो कि 2 प्रकार से होता है, एक ऑक्सीजेनिक दूसरा एनऑक्सीजेनिक। ऑक्सीजेनिक प्रक्रिया में प्रकाश ऊर्जा की मदद से पानी के अणुओं को तोड़ा जाता है जिससे ऑक्सीजन उत्सर्जित होता है। एनऑक्सीजेनिक प्रक्रिया में पानी की जगह हाइड्रोजन सल्फाइड, आयरन आदि का इस्तेमाल होता है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का उत्सर्जन नहीं होता है। वैज्ञानिकों का मानना था कि सबसे पहले एनऑक्सीजेनिक प्रकाश-संश्लेषण की शुरुआत हुई थी। दोनों ही प्रक्रिया में फोटोसिस्टम 1 नाम के एंजाइम का इस्तेमाल होता है। लेकिन यह एंजाइम दोनों प्रक्रिया में भिन्न दिखाई देता है। इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि किस समय सूक्ष्म जीवों के जीन में बदलाव आना शुरू हुआ था।

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यह जानकारी मिलने से ऑक्सीजेनिक प्रकाश-संश्लेषण के विकासक्रम का भी पता लगाया जा सकता था। प्रकाश-संश्लेषण के लिए जिम्मेदार आण्विक मशीनों की एनालिसिस में एक बात सामने आई कि करीब 3.4 अरब साल पहले इन जीवों के जीन में बदलाव होना शुरु हो गया था। उस समय ऑक्सीजन पैदा करने वाले साइनोबैक्टीरिया विकसित नहीं हुए थे।

Posted By: Chandramohan Mishra