-17 वीं गढ़वाल राइफल के सोल्जर रहे सुशील की जुबानी

-आई नेक्स्ट से बातचीत में शेयर किए अपने कुछ अनुभव

DEHRADUN : साथ के ख्क् साथी शहीद हुए और फ्ब् घायल, लेकिन बदले में हमने पाकिस्तान के कई घुसपैठियों को मार गिराया, अंत में विजय हमारी हुई। बटालिक सेक्टर पर कब्जा करने की सोची थी और उसमें हम सफल भी रहे। जो काम पिछली पांच सेना की टुकड़ी नहीं कर पाई वह काम करने में मैं और मेरे साथी कामयाब रहे। न केवल बटालिक सेक्टर पर फतह किया बल्कि कारगिल वार जीतकर पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी। यह कहना है उत्तराखंड के वीर सोल्जर सुशील डोभाल का। क्999 में कारगिल विजय का हिस्सा बने क्7वीं गढ़वाल राइफल के सोल्जर सुशील डोभाल भले ही आज सेना से रिटायर हो गए हैं। वर्तमान में ऋषिकेश स्थित श्यामपुर में रहने वाले सुशील डोभाल ने कारगिल दिवस के उपलक्ष्य पर आई नेक्स्ट से बातचीत में कारगिल वार को अपनी जुबानी बयां किया।

सबसे बड़ी लड़ाई जीती हमने

सुशील डोभाल ने बताया कि वैसे तो फौज की जॉब में कई बार उनका दुश्मनों से सामना हुआ, लेकिन पूरी जॉब के दौरान सबसे बड़ी लड़ाई कारगिल वार है। सुशील ने बताया कि वह क्7वीं गढ़वाल राइफल में सोल्जर थे। बॉर्डर पर कई एरिया थे जिनपर पाकिस्तान अपना कब्जा जमाना चाहता था। इनमें प्रमुख रूप से कारगिल सेक्टर, बटालिक सेक्टर, द्रास सेक्टर, मास्को घाटी थी। मैं और मेरे साथियों को बटालिक सेक्टर पर तिरंगा लहराने का हुकुम था। मेजर जिदू गगोई के नेतृत्व में हम आगे बढ़ रहे थे। बॉर्डर के पास कई गांव हैं, जिनमें एक बुडि़या गांव भी शामिल हैं।

तो हम भी सतर्क हो गए

उन्होंने बताया कि गांव के चरावाहों की बकरियों को पाकिस्तान से आए घुसपैठी एक-एक कर के अपना निवाला बना रहे थे। इसकी सूचना गांव वालों ने उन्हें दी। इसके बाद हम भी सतर्क हो गए। शाम को जैसे ही हम उनके एरिया में पहुंचे हमने उनकी टेलिफोन लाइन कट कर दी। इसका पता पाकिस्तानियों को लग गया था। हमारे अधिकतर साथी काफी पीछे थे, जबकि पाकिस्तान की तीन बटालियन वहां मौजूद थी।

मेजर ने दिखाई बहादुरी

उन्होंने कहा कि हमारी आगे की टुकड़ी को घेर लिया। उन्होंने हेंड्स अप करने को कहा, लेकिन मेजर गगोई ने अपने सोल्जर से कहा करो या मरो। तो सभी ने फायरिंग शुरू कर दी। हमारे क्फ् सोल्जर ऑन द स्पॉट शहीद हो गए, लेकिन उनके करीब भ्0 से अधिक मारे गए। गोलियां खत्म हो गई, तो मेजर गगोई ने अपनी खुंखरी से पाकिस्तान से आए घुसपैठियों को एक-एक कर के काटना शुरूकर दिया। इसके बाद हमारे सोल्जर जो पीछे थे वह भी आगे आए तो बाकी पाकिस्तानी भाग निकले।

साथ के 7 सोल्जर शहीद हो गए

इसके बाद पाकिस्तान के ख् घुसपैठी हमने जिंदा पकड़े। उन्होंने अपना पूरा प्लान बताया, तो हम और भी चौकन्ने हो गए। इसके बाद कुछ समय पर सीज फायर यानि कि फायरिंग बंद करने का ऑर्डर आया। हम वापस लौट ही रहे थे कि बकराहट नामक जगह पर पाकिस्तानियों ने गोला फायर कर दिया। हम क्0 लोग पत्थर के बंकर में थे, जिसमें से 7 सोल्जर साथ के शहीद हो गए। साथ के अन्य सोल्जर पीछे थे। फिर उन्होंने मोर्चा संभाला। हम भी बुरी तरह जख्मी थे, लेकिन यह अंदाजा नहीं था कि हमें भी कुछ गोलियां और छर्रे लगे हैं। जब डॉक्टर ने हमें इंजेक्शन लगाने की बात कही तो पता चला वाकई में हम भी जख्मी हैं।

उन्हें खदेड़ा और तिरंगा लहरा दिया

अपनी कोई सुधबुध नहीं थी। साथ के शहीद हुए साथियों पर पूरा ध्यान था। बाद में हम घायल सोल्जर लद्दाख के जरिए चंड़ीगढ़ रेफर कर दिए गए। जहां हम होश में आए। फिर पता चला कि लड़ाई हम जीत गए हैं। इस पूरी लड़ाई में उनकी कंपनी के फ्ब् सोल्जर घायल हुए थे और ख्क् शहीद हुए थे, लेकिन खुशी इस बात कि है कि अंत में जीत हमारी हुई। हमने कारगिल के सभी एरिया में जहां पाकिस्तान ने कब्जा करने की सोच रहा था। वहां से उन्हें खदेड़ा और तिरंगा वहां लहरा दिया।

Posted By: Inextlive