फ्लैग- शहर की रहने वाली डॉ। शालिनी अरोरा बेसहारा जानवरों की 20 साल से कर रहीं हैं सेवा

-रिठौरा में अपने निजी खर्च से प्रेम आश्रम के नाम से बनाया है शेल्टर होम

- घायल जानवरों का इलाज कर सेल्टर होम में देती हैं जगह, रखती हैं उनका पूरा ध्यान

1999 से शुरू किया था एनिमल के लिए काम

4 वर्ष पहले बनाया था एनिमल्स और वर्डस के लिए निजी शेल्टर होम

20 हजार से ज्यादा एनिमल्स एंड वर्डस का कर चुकी हैं इलाज

50 से ज्यादा एनिमल्स और वर्डस शेल्टर होम में इस समय रह रहे हैं

20 से अधिक घायल जानवरों को शेल्टर होम में चल रहा है ट्रीटमेंट

बरेली: सिल्की, तन्नू, दीपक और गोल्डी यह कुछ नाम हैं जो आप ह्यूमन कम्यूनिटीज में अक्सर सुनते रहते होंगे लेकिन जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे सुनकर आपको हैरानी होगी। क्योंकि ये नाम कुछ बेजुबान जानवरों के हैं। जिनको मुंशी नगर की रहने वाले डॉ। शालिनी अरोरा ने अपने शेल्टर होम में न सिर्फ रहने के लिए जगह दी है बल्कि उनके खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रख रही हैं। वहीं ये बेजुबान भी अपना नाम एक बार बुलाने पर दौड़े चले आते हैं।

20 सालों से कर रहीं सेवा

अपने फादर से इंस्पायर होकर डॉ। शालिनी अरोरा करीब 20 सालों से बेसहारा जानवरों की सेवा कर रही हैं। उनको शहर में कहीं भी घायल और भूखा एनिमल या वर्ड दिखता है, तो वे उसकी तुरन्त हेल्प करती हैं। घायल जानवरों का वह खुद इलाज करती हैं। यहां तक की जरूरत पड़ने पर उसे खुद ही आईवीआरआई भी ले जाती हैं और निजी खर्च से इलाज कराती है। इसके बाद वह उन जानवरों को अपने शेल्टर होम में रखकर उनका ख्याल रखती हैं।

यूनीक है सबका नाम

शेल्टर होम में जैसे ही किसी नए एनिमल्स और बर्डस की एंट्री होती है तो उसका नाम रख दिया जाता है। फिर गेट पर लगी लिस्ट में भी उसका नाम अपडेट कर दिया जाता है। इनमें गाय को शीतला, संतोषी, गौरी, बैल को भोला, रूद्रा, भयंकर और मृत्युंजय जबकि बछड़ा को सुदामा और गणेश नाम से पुकारा जाता है। वहीं डॉगी को पिंगू, गोल्डी, शक्ति, खुशी, शेरा, फिनिक्स, सिल्की, कैंडी, मैगी और मोगली आदि नामों से बुलाया जाता है।

Posted By: Inextlive