अन्‍नकूट पूजा दीपावली के दूसरे दिन होती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। जैसा कि नाम से ही स्‍पष्‍ट है इस दिन गेहूं चावल जैसे अनाज बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से भोज्‍य पदार्थ बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं।


कानपुर। अन्नकूट पर भोग  29 अक्टूबर 2019 कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को भगवान के नैवेद्य में नित्य के नियमित पदार्थों के अतिरिक्त यथा सामर्थ्य ( दाल, भात, कढ़ी, साग, आदि  'कच्चे' हलवा, पूरी, खीर, आदि 'पक्के'; लड्डू,पेड़े, बर्फी, जलेबी, आदि 'मीठे'; केले, नारंगी, अनार, सीताफल, आदि 'फल:-फूल; बेंगन, मूली, साग, पात, रायते, भुजिये, आदि सलूने और चटनी, मुरब्बे, अचार, आदि, खट्टे, मीठे- चरपरे) अनेक प्रकार के पदार्थ बनाकर अर्पण करे और भगवान के भक्तों को यथाविभाग भोजन कराकर शेष सामग्री आशार्थियों मे वितरण करे। अन्नकूट की कथा
अन्नकूट यथार्थ में गोवर्धन की पूजा का ही समारोह है। प्राचीन काल में व्रज के सम्पूर्ण नर नारी अनेक पदार्थों से इन्द्र का पूजन करते और नाना प्रकार के षडरस पूर्ण( छप्पन भोग, छत्तीसों व्यञ्जन) भोग लगाते थे। किन्तु श्रीकृष्ण ने अपनी बालक अवस्था में ही इन्द्र की पूजा को निषिद्ध बतलाकर गोवर्धन का पूजन करवाया। और स्वयं ही दूसरे स्वरूप से गोवर्धन बनकर अर्पण की हुई सम्पूर्ण भोजन सामग्री का भोग लगाया । यब देखकर इन्द्र ने व्रजपर प्रलय करने वाली वर्षा की। किन्तु श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को हाथपर उठाकर और व्रजवासियों को उसके नीचे खड़े रखकर बचा लिया।ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र


Govardhan Puja 2019: इस समय शुभ मुहूर्त में ऐसे करें गोवर्धन पूजा, शुभ मुहूर्त व समय

Posted By: Shweta Mishra