सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने किया यौन उतपीड़न जज की हरकत के बाद निकल आई कमरे से बाहर


एक और गांगुलीयौन उत्पीड़न के एक नए मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में विवाद शुरू हो गया है. एक और महिला प्रशिक्षु वकील (इंटर्न) ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है और शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच की गुहार लगाई है. एक निजी टीवी चैनल ने उस न्यायाधीश का नाम सार्वजनिक किया है. एक साल से भी पहले सेवानिवृत्त हुए वह न्यायाधीश अभी एक न्यायाधिकरण के अध्यक्ष हैं. यह घटना तब की है जब वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश थे. महिला वकील आधिकारिक तौर पर मई 2011 से उनके यहां इंटर्न के रूप में थी. उसने हाल में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर शिकायत दर्ज कराई है और पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है.सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से किया इनकार
बताया जाता है कि इंटर्न ने शपथ पत्र में बताया है कि जब वह मई 2011 में तत्कालीन न्यायाधीश के कार्यालय में काम करती थी तो कैसे उसका यौन उत्पीड़न किया गया. न्यायाधीश की ओर से आपत्तिजनक व्यवहार के बाद वह असहज हो गई और कमरे से बाहर निकल आई. न्यायाधीश ने उससे पूछा था कि क्या प्रशिक्षण के दौरान उसके साथ यात्रा करना और होटल के कमरे में रहने में आनंदित महसूस करेगी? शीर्ष अदालत ने इस मामले पर विचार करने से इन्कार कर दिया है और न्यायमूर्ति एके गांगुली मामले में पूर्ण पीठ के उस राय का हवाला दिया है जिसमें स्पष्ट किया गया है कि इस अदालत के पूर्व न्यायाधीशों के खिलाफ दिए गए आवेदन सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा विचार के लायक नहीं हैं. कोर्ट के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि इंटर्न को कह दिया गया है कि उसके आवेदन पर विचार नहीं किया जा सकता और वह कानून के तहत उचित उपाय करने के लिए स्वतंत्र है.पहली पीड़िता की तरह है ये इंटर्न भी


खबरों में संकेत दिया गया है कि दूसरी इंटर्न भी पहली पीड़िता की तरह कोलकाता स्थित वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंसेज की पूर्व छात्रा थी. बताया जाता है कि वह सुप्रीम कोर्ट में पूर्ण पीठ द्वारा पारित उस संकल्प को चुनौती देने के लिए याचिका दायर करने पर विचार कर रही है. गांगुली प्रकरण की तरह इस मामले में भी अपर सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने पीड़िता का समर्थन किया है. उन्होंने पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ जांच कराने की मांग की है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के प्रशासनिक रूप से लिए गए किस भी संकल्प को चुनौती दी जा सकती है.Hindi news from National news desk, inextlive

Posted By: Subhesh Sharma