- जयगुरुदेव आश्रम पर हमले की तैयारी में थे जवाहरबाग के आंदोलनकारी

- प्रशासन ने शासन को कई बार भेजी थी एलआइयू की ये रिपोर्ट

वृंदावन: जवाहरबाग कांड में हुई मौतों ने ही ब्रज की इस शांतिप्रिय धरती को बेचैन कर दिया है। यदि समय रहते पुलिस-प्रशासन ने ऑपरेशन जवाहरबाग न किया होता तो शायद मंजर और भी खतरनाक होता। मथुरा की सड़कों पर खुलेआम खूनखराबे की पूरी आशंका थी। जय गुरुदेव आश्रम के ही बागी रामवृक्ष और उसके समर्थकों की पूरी तैयारी आश्रम पर हमला कर हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति कब्जाने की थी। ऐसी आशंकाओं वाली रिपोर्ट लगातार प्रशासन द्वारा भेजे के बावजूद लखनऊ में बैठे आका बेफिक्र थे।

¨हसक मानसिकता वाले रामवृक्ष यादव का ध्येय सिर्फ 280 एकड़ का जवाहरबाग कब्जाना नहीं था। उसके कई मंसूबे थे। नक्सलियों से जुड़कर वह राष्ट्रविरोधी नेटवर्क खड़ा कर रहा था। साथ ही उसके दिल में पुराना जहर भी पल रहा था। ये तथ्य पहले भी सामने आ चुका है कि बाबा जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी का दावेदार रामवृक्ष भी था। पंकज बाबा को गद्दी मिलने के बाद वह अपना आपा खो बैठा। वह अनुयायी तो अब भी जयगुरुदेव का ही था। उन्हीं के नाम से उसने भीड़ जुटाई। आश्रम से थोड़ी ही दूरी पर अड्डा बनाकर वह अपनी फौज असलहा और विस्फोटकों सहित बढ़ा रहा था। असल में वह चाहता क्या है? इसकी टोह लेने को एलआइयू लगातार जवाहरबाग पर नजर जमाए रही। फिर रिपोर्ट तैयार कर समय-समय पर प्रशासन को दी। प्रशासन की ओर से जो रिपोर्ट शासन को बार-बार भेजी गई। उसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख था कि ये आंदोलनकारी कभी भी जयगुरुदेव आश्रम की संपत्ति को लेकर कुछ भी कर सकते हैं। रामवृक्ष यादव का कोई गुप्त एजेंडा भी है। इसका साफ इशारा था कि हजारों की भीड़ एक साथ आश्रम पर हमला बोलती। चूंकि आश्रम के भी अपने सुरक्षा बंदोबस्त हैं। संपत्ति के तमाम विवादों के चलते वहां भी हर वक्त हथियारबंद लोग मौजूद रहते हैं। ऐसे में जब रामवृक्ष की फौज वहां हमला बोलती तो वह एक बड़े गैंगवार के रूप में सामने आता।

आगरा-दिल्ली जैसे प्रमुख हाईवे पर होने वाली इस मुठभेड़ में दोनों ओर से कई लोगों की जानें जाने का पूरा खतरा था। इसमें राहगीर और स्थानीय लोग भी चपेट में आ सकते हैं। ¨हसा का वह तांडव शायद मथुरा या कहें पूरे ब्रज के लिए और भी खतरनाक साबित हो सकती थी। पुलिस-प्रशासन इसे भांप चुका था। उस बड़े टकराव को लेकर फिक्रमंद भी था, इसीलिए शासन को भेजी लगभग हर रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया। मगर, न जाने क्यों इतने संवेदनशील इनपुट पर भी शासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं बढ़ाया गया। यदि तभी कोई बलपूर्वक कार्रवाई हो जाती तो रामवृक्ष को संभलने का मौका नहीं मिलता और बिना खूनखराबे के उसे यहां से खदेड़ा जा सकता था।

Posted By: Inextlive