RANCHI: सर्दी-खांसी हो या वायरल बुखार डॉक्टर मरीजों को एंटी बायोटिक लिख ही देते हैं। पर इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। आज स्थिति यह है कि बिना हाइडोज दवा के बीमारी ही ठीक नहीं हो रही है। सामान्य दवाएं मरीजों पर धीमा असर कर रही हैं। वहीं खुद से भी लोग एंटी बायोटिक का सेवन कर रहे हैं। इस वजह से लोग भी खुद एंटी बायोटिक हो चुके हैं। वहीं कुछ लोग तो बिना डॉक्टरी सलाह के भी दवा खाकर कई तरह की बीमारियों को दावत दे रहे हैं।

बिक्री पर रोक नहीं

किसी भी तरह की परेशानी होने पर लोग सीधे मेडिकल स्टोर की तरफ भागते हैं, जहां दुकान के संचालक से एंटी बायोटिक और जेनरल दवाएं ले लेते हैं। लेकिन संचालक दवा खरीदने वाले से इस बारे में कोई पूछताछ नहीं करता है और उसे दवा थमा देता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति मेडिकल स्टोर से आसानी से एंटी बायोटिक ले सकता है।

जान बचाने को हाइडोज (बॉक्स)

अक्सर हास्पिटल में मरीजों को गंभीर स्थिति में ही लाया जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरों के पास तत्काल हाइडोज एंटी बायोटिक देने के अलावा और कोई चारा ही नहीं बचता। मरीज की जान तो बचा ली जाती है। लेकिन इसका असर उसके इम्युनिटी सिस्टम पर पड़ता है। वहीं बॉडी को भी एंटी बायोटिक की आदत हो जाती है।

वर्जन

एंटी बायोटिक का इस्तेमाल एक दवा के रूप में किया जाए तो बेहतर है। लेकिन लगातार इसके इस्तेमाल से बॉडी की आदत हो जाती है, जो कि खतरनाक हो सकता है। हास्पिटल में लोग गंभीर स्थिति में आते हैं तो तत्काल एंटी बायोटिक देना भी जरूरी है। लेकिन इसके लिए भी एक लिमिट है। उसके बाद एंटी बायोटिक बंद कर देना चाहिए। जिसे जरूरत न हो उसे हम एंटी बायोटिक नहीं लिखते।

-डॉ। ब्रजेश कुमार, स्पेशलिस्ट

एंटी बायोटिक का इस्तेमाल करना खतरनाक तो है। इसलिए हमलोग भी मरीजों की स्थिति देखते हुए ही दवा लिखते हैं। बाकी तो मरीजों की टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद ही दवा लिखना बेहतर है। एंटी बायोटिक खाने के बाद रिपोर्ट भी क्लीयर नहीं आ पाती। कुछ मरीजों को स्थिर करने के लिए हमलोग एंटी बायोटिक देते हैं, लेकिन एक लिमिट के बाद इसे बंद कर दिया जाता है।

-डॉ। बी कुमार, मेडिसीन, रिम्स

Posted By: Inextlive