दुनिया की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी एप्‍पल को एक बड़ा झटका लगा है। वह पेटेंट चोरी के मामले में वह मुकदमा हार गई है। जिससे अब उसे विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी को 23.40 करोड़ डॉलर लगभग 1521 करोड़ रुपये भरने होंगे।


भारतीय मूल के दो इंजीनियरएप्पल से जुड़े इस पूरे मामले की सुनवाई अमेरिका की एक अदालत में हुआ है और उसी ने इस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया है। विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता का कहना है कि एप्प्ल ने उसके पेंटेट चुराए हैं। इसे भारतीय मूल के दो इंजीनियर टी विजयकुमार और गुरिंदर सोही ने बनाया है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद ये दोनों अमेरिका चले गए। ज्यूरी ने पाया कि ऐपल ने पेटेंट मामले का उल्लंघन किया। उसने विस्कॉन्सिन एलुमिनी रिसर्च फाउंडेशन (वार्फ) के पेटेंट का बिना अनुमति के उपयोग करते हुए इसे आविष्कार करार दिया। यह तकनीक कंप्यूटर प्रोसेसिंग की कार्यकुशलता और स्पीड को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा देती है। लगभग दो हफ्ते तक चले मुकदमे के बाद ज्यूरी ने ये बड़ा फैसला लिया है।कोर्ट के आदेश पर खुशी जताई
इस दौरान एप्प्ल के 5एस, 6 व 6 प्लस सहित आइपैड के विभिन्न वर्जन में मिले ए7, ए8 और ए8एक्स प्रोसेसर पेटेंट का उल्लंघन हैं। फाउंडेशन ने 2014 में मामले में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। उसने 'प्रिडिक्टर सर्किट' पर अपने 1998 के पेटेंट के उल्लंघन की बात कही थी। एप्पल ने पहली बार आइफोन 2007 में पेश किया था। जबकि 2010 में उसका आइपैड आया था। कंपनी ने फैसले के खिलाफ अपील की बात कही है, लेकिन इसके आगे कुछ भी बोलने से मना किया। इसके उलट वार्फ ने कोर्ट के आदेश पर खुशी जताई है। विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रोफेसर सोही का कहना है कि उनकी तकनीक समय से पहले की थी। करीब दो दशक पहले उन्होंने जानने का प्रयास किया था कि आज कंप्यूटरों को किस तरह ऑपरेट करने की जरूरत पड़ेगी।

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Posted By: Shweta Mishra