घर पर बिना इजाजत सबमर्सिबल पंप लगाना अब संभव नहीं है। सरकार से इसके लिए लिखित में परमीशन लेनी होगी। घर और कृषि के लिए परमीशन मुफ्त में मिल जाएगी मगर औद्योगिक उपयोग के लिए शुल्क देना होगा।

लखनऊ (ब्यूरो)। बेफिक्री से बिना किसी परमीशन सबमर्सिबल पंप की बोरिंग कराना अब असंभव होगा। इसके लिये परमीशन लेनी होगी। वहीं, भूगर्भ जल को दूषित करने वाले अब अपराधी माने जाएंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया कि भूगर्भ जल को दूषित करने वालों को सात साल कारावास और बीस लाख रुपये तक जुर्माने की सजा भुगतनी होगी। इसके अलावा सात अन्य प्रस्तावों को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

ऑनलाइन करना होगा अप्लाई

सरकार के प्रवक्ता डॉ. सिद्धार्थनाथ सिंह और जलशक्ति मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर को अटल भूजल योजना की घोषणा की। भूजल संरक्षण और संवर्धन के लिए ही योगी सरकार ने कड़ा कानून बनाया है। अब सबमर्सिबल पंप लगाने की परमीशन सभी के लिए अनिवार्य होगी। घरेलू और कृषि उपयोग के लिए परमीशन मुफ्त मिलेगी, जबकि औद्योगिक उपयोग का शुल्क निर्धारण करने के लिए समिति गठित की जाएगी। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और समय सीमा भी तय होगी। जलशक्ति मंत्री ने बताया कि नए आवासीय, व्यावसायिक, शैक्षणिक, सामुदायिक और सरकारी भवन बनाने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य कर दिया गया है। पहले से जो शैक्षणिक संस्थानों के भवन बने हैं, उन्हें एक वर्ष तक का समय दिया जाएगा। अगले वर्ष नवीनीकरण से पहले रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था उन्हें करनी होगी। बताया बोङ्क्षरग करने वाली निजी कंपनियों और एजेंसियों को भी पंजीकरण कराना होगा। उन्हें ऑनलाइन जानकारी देनी होगी कि माह में उन्होंने किस क्षेत्र में कितने सबमर्सिबल पंप लगाए।

भूगर्भ जल दूषित करने पर सजा

- पहली बार पकड़े जाने पर- छह माह से एक वर्ष कारावास और दो से पांच लाख रुपये तक जुर्माना

- दूसरी बार पकड़े जाने पर- दो से पांच वर्ष कारावास और पांच से दस लाख रुपये तक जुर्माना

- तीसरी बार पकड़े जाने पर- पांच से सात वर्ष कारावास और दस से बीस लाख रुपये तक जुर्माना

इन प्रस्तावों पर लगी मुहर

-फिरोजाबाद के जिले में तत्कालीन तहसीलदार शिवदयाल ने 0.691 हेक्टेअर जमीन को नियम विरुद्ध कुछ लोगों को दे दी थी। इनसे जमीन की कीमत 1.50 करोड़ की वसूली की जाएगी।

-सोनभद्र के ओबरा को नई तहसील बनाया गया है। अब सोनभद्र जिले में चार तहसील हो गई है। इसका मुख्यालय मारकुंडी होगा।

-उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड को हरदोई में आवास विकास प्राधिकरण की ओर से 22.60 हेक्टेयर जमीन साल 2015 में दी गई थी। 2016 में शासनादेश के मुताबिक इसके लिये 123.16 करोड़ रुपये दिया जाना था। कैबिनेट ने फैसला लिया कि यह जमीन वापस की जाएगी। 2016 के शासनादेश को निरस्त किया गया।

-प्रदेश में 18 व्यवस्था अधिकारी और 22 व्यवस्थापक हैं। इनका चयन 1983 में बनी नियमावली के अधीन हुआ था। इसमें अब संशोधन करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य संपत्ति व्यवस्थापक एवं व्यवस्था अधिकारी सेवा नियमावली 2020 बनाई गई है। अब भर्ती शत-प्रतिशत लोकसेवा आयोग के जरिए होगी। व्यवस्था अधिकारी के लिये 50 फीसदी भर्ती लोकसेवा आयोग से होगी और 50 फीसदी पदों को प्रमोशन से भरा जाएगा।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari