एक तरफ तो केंद्र सरकार हृदय योजना में बनारस को शामिल कर यहां धरोहरों को संरक्षित करने के लिए कोशिश कर रही है। जबकि दूसरी ओर अपने शहर के कई धरोहर संकट में नजर आ रहे हैं। ऐसा नहीं कि इनकी देखरेख नहीं हो रही है। हो तो रही है, लेकिन कहीं न कहीं इन्हें नुकसान भी पहुंच रहा है। देखिये कहां कौन सा धरोहर है संकट में

खो न जाएं ये, धरोहर जमीं के

-पुरातात्विक स्मारकों के साथ लगातार हो रहा छेड़छाड़

-इतिहास को सुरक्षित रखने का नहीं किया जा रहा पर्याप्त इंतजाम

-हाल ही मान मंदिर वेधशाला के पीछे हिस्से में किया गया है रंग

VARANASI : देश के सशक्त इतिहास के गवाह पुरातात्विक महत्व के धरोहरों की हालत ठीक नहीं है। कहीं मौसम की मार है तो कहीं इंसानों की हरकत से ये बेजार हो रहे हैं। इनके सर्वेक्षण और संरक्षण की जिम्मेदारी जिनपर है वह भी बचाव नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं कि वह कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है लेकिन उनकी कोशिश कुछ स्थानों तक ही सीमित होकर रह गयी है। जिसके चलते अन्य स्थानों के हिस्से में सिर्फ बदहाली आ रही है। जल्द ही इनको बचाने को गंभीर कोशिश नहीं की गयी तो शायद इनकी चर्चा इतिहास के पन्नों में ही रह जाएगी।

हर जगह हो रहा खिलवाड़

एक तरफ देश के साथ पूरे शहर में पुरातात्विक महत्व के स्मारकों को बचाने के लिए कवायद चल रही है। केंद्र सरकार की हृदय योजना का उद्देश्य भी यही है। वहीं बनारस में पुरातात्विक महत्व के स्मारकों के साथ छेड़छाड़ की घटनाएं रूक नहीं रहीं। मानमंदिर घाट पर मौजूद मानमंदिर वेधशाला की इमारत के कई हिस्सों को कलर कर दिया गया है। इस पर चढ़ा पिंक कलर दूर से ही नजर आता है। इससे संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की है। हालांकि विभाग इसके रखरखाव पर ध्यान दे रहा है। समय-समय पर इसकी मरम्मत वैज्ञानिक तरीकों से की जाती है। इस वक्त भी इमारत के कई हिस्सों की मरम्मत (प्वाइंटिंग) का काम किया जा रहा है। लेकिन कुछ हिस्से पर पिंक कलर का इस्तेमाल हैरान करने वाला है।

पत्थरों के लिए पेंट है बेहद खतरनाक

ऐतिहासिक महत्व की पत्थर से बनी इमारतों के लिए पेंट बेहद नुकसानदेह होता है। खासतौर पर बलुआ पत्थर से बनी इमारतों पर यदि इसका इस्तेमाल किया जाए तो उसका मूल स्वरूप पूरी तरह बिगड़ सकता है। बलुआ पत्थरों में छोटे-छोटे छेद होते हैं। इनके जरिये पत्थर के अंदर नमी प्रवेश करती है। खुले मौसम में तेज धूप पत्थरों पर पड़ती है तो यह नमी धीरे-धीरे को सुखा देती है। इससे पत्थर को नुकसान नहीं पहुंचता है। वहीं कलर कर देने से पत्थर के छेद बंद हो जाते हैं। बाहर के मौसम से तो नहीं लेकिन जमीन की नमी पत्थरों तक पहुंचती है। कलर की वजह से नमी सूख नहीं पाती है। एक वक्त ऐसा आता है जो ढेर सारी जमा नमी पत्थर के किसी हिस्से को तोड़कर बाहर आ जाती है। पत्थर की दीवारें इधर-उधर से टूटने लगती हैं। ये टूट-फूट पूरी बिल्डिंग का सत्यानाश कर सकती है।

कई धरोहर हैं संकट में

बनारस में पुरातात्विक महत्व के ख्ख् धरोहर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के हिस्से में आती हैं। वहीं पांच स्मारकों का संरक्षण उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग करता है। एएसआई के जिम्मे सारनाथ परिसर, राजघाट स्थित लाल खां का रौजा, मान मंदिर वेधशाला, बेनियाबाग स्थित विक्टोरिया स्टेचू, सम्पूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी स्थित प्रहलादपुर उत्कीर्ण स्तम्भ, शिवाला स्थित मकबरा समेत ख्ख् स्मारक हैं। इनमें से सारनाथ और मान मंदिर वेधशाला, लाल खां का रौजा समेत कुछ स्थानों की हालत ठीक है। जबकि अन्य स्थानों विक्टोरिया स्टेचू, प्रहलादपुर उत्कीर्ण स्तम्भ, मकबरा आदि की हालत ठीक नहीं है। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से असामाजिक तत्वों के हाथों इन्हें नुकसान पहुंच रहा है। पुरातत्व महत्व के स्मारकों और धरोहरों के साथ छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान होने के बावजूद ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ नहीं किया जाता। यहां तक कि कई स्मारकों की सुरक्षा के लिए विभाग का कोई कर्मचारी या सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं होता है।

मेहनत से बदली हालत

सारनाथ स्थित धमेख स्तूप की हालत भी पहले खराब थी। जगह-जगह से जर्जर हो गया था। साथ ही लोगों के छूने, कपूर आदि जलाने से और खराब हो रहा था। पुरातत्व विभाग ने काफी मेहनत के बाद इसकी स्थिति में सुधार लाया। साथ ही सुरक्षा का इंतजाम भी कर दिया है। अब बैरेकेडिंग की वजह से स्तूप को कोई छू नहीं सकता है।

स्मारकों के संरक्षण को लेकर विभाग गंभीर है। समय-समय पर उनका संरक्षण के लिए कार्य किया जा रहा है। इस वक्त मान मंदिर वेधशाला पर प्वाइंटिंग का काम किया जा रहा है। इसके तहत पत्थरों के बीच बन चुकी दरारों को विशेष मसालों से भरा जा रहा है। पत्थरों पर विशेष लेप भी किया जा रहा है ताकि उस पर मौसम की मार न पड़े।

अजय श्रीवास्तव, स्थानीय अधीक्षण, एएसआई

पुरातत्व महत्व के मान मंदिर महल और वेधशाला को कलर किया गया है। इससे उसकी खूबसूरती नष्ट हो रही है। साथ ही इमारत की सुरक्षा को भी नुकसान होने की संभावना है। एक अरसे से इमारत पर कोई कलर नहीं था। क्8फ्ख् में जेम्स प्रिंसेप ने भी इमारत की तस्वीर बनायी थी। उसमें भी पत्थर साफ नजर आ रहे हैं। कलर किये जाने से घाटों की एकरूपता भी खत्म हो रही है।

-मनीष खत्री, आर्ट क्यूरेटर

पुरातात्विक महत्व के स्मारकों का बड़ा महत्व है। इसे संरक्षित रखना जरूरी है। इसके लिए विभाग पूरी तरह से गंभीर है। समय-समय पर स्मारकों की मरम्मत और जीर्णोद्धार का काम होता है। इस वक्त भी कई जगहों पर काम चल रहा है। गुरुधाम मंदिर की ऐतिहासिकता को नुकसान न पहुंचाते हुए जीर्णोद्धार किया गया है।

-सुभाष चंद्र यादव, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी

Posted By: Inextlive