- यूपी आर्चरी संघ ने लगाया आरोप ओलंपिक गोल्ड क्विस्ट की सुविधा का गलत फायदा उठा रहे हैं नामी खिलाड़ी

- दीपिका, जयंत, राहुल द्वारा रहने की प्राइवेट व्यवस्था पर संघ ने उठाया सवाल, इंडियन फेडरेशन में रखा जाएगा मुद्दा

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Meerut : देश के इंटरनेशनल लेवल के कुछ खिलाडि़यों को ओलंपिक गोल्ड क्विस्ट की सुविधा मिली हुई हैं। जिससे वह किसी भी चैंपियनशिप में जाते हैं तो खर्चा कर उसका बिल ओजीक्यू को दे सकते हैं। आर्चरी फेडरेशन ऑफ इंडिया इस सुविधा को खत्म या फिर कड़े रूल कर सकती है। इसकी सुगबुगाहट 36वीं सीनियर नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप में देखने मिल गई है।

दीपिका एंड टीम बनी वजह

दरअसल बात ये हुई कि जब दीपिका कुमारी, रिमिल बिरुली और लक्ष्मी रानी मांझी मेरठ पहुंची तो उन्हें संघ द्वारा ठहरने का इंतजाम काफी दूर लगा। तीनों ने बिना संघ के पदाधिकारियों को बताए अपना इंतजाम खुद कर लिया। पिछले दो दिनों से रह रहीं इन खिलाडि़यों के बारे में संघ के जनरल सेकेट्री एवं आर्चरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेसीडेंट अजय गुप्ता को जानकारी मिली तो उन्होंने तीनों को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि आप हमारी जिम्मेदारी हैं। अगर इस शहर में आप को कुछ भी हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी यूपी आर्चरी की होगी। जवाब में तीनों ने संघ के पदाधिकारियों के किसी का मोबाइल नंबर न होना बताया। इस पर अजय गुप्ता का कहना है कि उनकी ओर से से सभी स्टेट संघ को बुकलेट भेजी गई थी, जिसमें सभी के कांटेक्ट नंबर मौजूद थे।

आखिर कहां से आ रहा है रुपया?

अब सवाल ये है कि आखिर इतना रुपया खिलाडि़यों के पास आ कहां से रहा है? प्राप्त जानकारी के अनुसार जो खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल दिला सकते हैं, ऐसे खिलाडि़यों को ओलंपिक गोल्ड क्विस्ट संस्था द्वारा हेल्प की जाती है। जिससे खिलाडि़यों को फंडिंग होती है। खिलाडि़यों को सिर्फ वहां पर रुपया जमा करना होता है। बाकी खर्चा ओजीक्यू ही उठाता है। इस संस्था की शुरूआत गोल्फर गीत सेठी, प्रकाश पादुकोण और फॉर्मर इंडियन हॉकी कैप्टन विरेन ने शुरू की थी। लंदन ओलंपिक में खिलाडि़यों को इसी ओजीक्यू की मदद से जाने का मौका मिला था।

फेडरेशन कसेगा नकेल

अब इस ओजीक्यू की मदद पर आर्चरी फेडरेशन ऑफ इंडिया नकेल कसने का विचार कर रहा है। फेडरेशन के वाइस प्रेसीडेंट अजय गुप्ता कहते हैं कि ओजीक्यू का एक बड़ा हिस्सा खिलाड़ी बर्बाद कर रहे हैं। इससे खिलाडि़यों की आदतें भी काफी खराब हो रही है। इसलिए इस मुद्दे जल्द ही फेडरेशन की मीटिंग में उठाकर या तो बंद कराएंगे या फिर कड़े नियम तय कराएंगे। उन्होंने जल्द ही इस पर ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

ओजीक्यू बर्बाद कर रहा भविष्य

अजय गुप्ता ने बताया कि ओजीक्यू एक प्राइवेट संस्था है। जिसमें बड़ी कंपनियों की ओर से फंडिंग की जा रही है। करोड़ों रुपए ओजीक्यू के पास है। लेकिन ये रुपया कौन-कौन सी ओजीक्यू को दे रही हैं, ये फेडरेशन को नहीं मालूम? उन्होंने कहा कि खिलाड़ी रुपया कहां खर्च कर रहा है? किस पर खर्च कर रहा है? इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है? ऐसे में ओजीक्यू के माध्यम से खिलाडि़यों को बर्बाद करने की साजिश भी हो सकती है।

जहां ठहरने की व्यवस्था की है वो स्टेडियम से काफी दूर है। ट्रैवल करने में थकान काफी हो जाएगी। ऐसे में हमने पास ही गढ़ रोड पर होटल में इंतजाम किया है।

- दीपिका कुमारी

जितने भी खिलाड़ी ओलंपिक मेडल लाने की संभावना रखते हैं उन्हें ओजीक्यू की ओर से फाइनेंशियल सपोर्ट मिलता है। जिससे हमारे इक्विपमेंट से लेकर बाहर आने-जाने खर्चे शामिल होते हैं।

- मंगल सिंह चंपिया

Posted By: Inextlive