'An apple a day keeps the doctor away' is not universal fact as many are allergic to the fibers minerals & vitamins in the food.

नो डाउट, ज्यादातर हेल्थ प्राब्लम्स के सॉल्यूशन के लिए फ्रूट्स रिकमेंड किए जाते हैं और ये बॉडी में न्यूट्रीएंट्स की कमी को पूरा भी करते हैं. लेकिन प्रॉब्लम तब शुरू होती है जब बॉडी में इन न्यूट्रीएंट्स को लेकर इंनटॉलरेंस डेवलप हो जाता है.डॉ. मृदुल भूषण कहते हैं, ‘ऐसे कई फूड प्रोडक्ट होते हैं जिन्हें हमारी बॉडी कई बार टॉलरेट नहीं कर पाती और एलर्जी हो जाती है. फ्रूट भी उनमें से एक हैं’ उनका कहना है कि ज्यादातर एलर्जी ग्रेप्स, पपाया और कभी-कभी एप्पल्स से होती है. रिएक्शन फ्रूट्स इनटेक के तुरंत बाद या कुछ देर बाद भी हो सकता है. ये इनटॉलरेंस की इंटेंसिटी पर डिपेंड करता है.
Causes of fruit allergy:
Viral Infections

कुछ सर्टेन वायरल इंफेक्शंस की वजह से बॉडी में टेम्पोरेरी शुगर या फ्रक्टोज इंटॉरलेंस डेवलप हो जाता है, इससे फ्रूट्स से मिलने वाले फ्रक्टोज को बॉडी एब्जॉर्ब नहीं कर पाती. ज्यादातर फ्रूट्स में फ्रक्टोज का हाई कंटेंट होता है.

Environmental changes
कुछ फ्रूट्स बदलते मौसम में रिएक्शन करते हैं. इसलिए डॉक्टर्स पेशेंट को अक्सर मानसून के दौरान ग्रेप्स सा दूसरे फ्रूट्स जिसमें साइट्रस हाई कंटेंट में होता है, न खाने की सलाह देते हैं.

High content of chemicals

फ्रूट्स में मौजूद केमिकल्स हाई कंटेंट में बॉडी में रिलीज हो जाते हैं और ये लीकी-इंटेस्टाइन सिंड्रोम के लिए रिस्पांसिबल होते हैं. इसमें बॉडी ओवरड्राइव मोड में चला जाता है और यही इंटॉलरेंस की वजह बनती है.
Symptoms of fruit allergy:
1.Vomiting
2.Diarrhoea
3.Itching
4.Swelling of throat
5.Nausea
6.Discomfort
7.Swelling of lips
8.Rashes and redness
Don’t avoid, just take carefully

फ्रूट एलर्जी का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि हम फ्रूट्स लेना बंद कर दें बल्कि यह हमारी डाइट में रोजाना ही शामिल होने चाहिए. जो फ्रूट आपके लिए एलर्जिक हो उसे सेम न्यूट्रीएंट्स वाले फ्रूट्स से रिप्लेस कर सकते हैं.

•कई केसेज में ऑब्जर्व किया गया है कि इंटॉलरेंस रिएक्शन तभी होते हैं जब फ्रूट्स कच्चे होते हैं. कुकिंग या बेकिंग के बाद फ्रूट के इफेक्ट को काफी हद तक  कम किया जा सकता है.
•जो किसी खास फ्रूट को लेकर इंटॉलरेंट होते हैं उन्हें कई बार फ्रूट के स्किन से ही रिएक्शन होता है न कि पूरे फ्रूट से. ऐसे फ्रूट को पील करके खाया जा सकता है.
•कई केसेज में जब फ्रूट पूरी तरह से पका नहीं होता है तो उसका भी असर बॉडी पर होता है. पूरी तरह से पके और फ्रेश फ्रूट्स को ही चूज करें.
Doctor say

डॉ. मृदुल भूशन, फिजीशियन का कहना है कि अब तो पूरे साल ही हर तरह के फ्रूट्स मार्केट में अवेलेबल है. लेकिन फल खाते समय ध्यान रखे कि फ्रूट्स को दो दिन के बाद न खांए. गर्मियों में मोसंबी, अंगूर और मिक्स फ्रूट्स का फ्रेश जूस पीना हेल्थ के लिए बिल्कुल परफेक्ट है.

Posted By: Surabhi Yadav