RANCHI: दांत न हो तो खूबसूरत चेहरा भी खराब लगने लगता है। वहीं एक उम्र के बाद दांत नहीं रहने पर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन ऐसे लोगों को अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। चूंकि रिम्स में अगले महीने से आर्टिफिशियल दांत बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इतना ही नहीं, एक दांत बनाने के लिए केवल 30 रुपए ही चुकाने होंगे, जिससे कि लोगों की जेब पर भी असर नहीं पड़ेगा। बताते चलें कि रिम्स का डेंटल कॉलेज हॉस्पिटल स्टेट का एकमात्र कॉलेज है, जहां गवर्नमेंट रेट पर ही मरीजों को सारी सुविधाएं मिलेंगी।

डेंचर लैब में बनाए जाएंगे दांत

डेंटल कॉलेज-हॉस्पिटल में ही दांतों की ट्रीटमेंट के लिए अलग-अलग डिपार्टमेंट बनाए गए हैं। अब इसमें एक नया डिपार्टमेंट भी जुड़ गया है। डेंचर लैब बनकर पूरी तरह से तैयार है। वहीं लैब में टेक्निशियन की भी बहाली हो चुकी है। बस दांत बनाने के लिए कुछ केमिकल की जरूरत है, जिसकी सप्लाई होते ही दांत बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

दांत सेट करने को मिलेगा टाइम

पहले मरीजों को बुलाकर उनकी दांत का मेजरमेंट लिया जाएगा। इसके बाद दांत को लैब में टेक्निशियन तैयार करेंगे। वहीं दिए हुए टाइम पर मरीजों को बुलाकर उनका ट्रायल होगा। इसके बाद फाइनल डेट पर दांत सेट कर दिया जाएगा। इसके अलावा दांतों का पूरा सेट भी लैब में ही तैयार किया जा सकेगा। ऐसे में लोगों को दांत बनाने के लिए भी जहां-तहां दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

तीन से चार सौ रुपए लगते हैं प्राइवेट में

डेंटल लैब के चालू हो जाने से सबसे ज्यादा राहत बुजुर्गो को होगी, जिन्हें आर्टिफिशियल दांत लगाने के लिए एक ही जगह जाना होगा। वहीं पूरे दांत बनाने में लगभग 11 सौ रुपए खर्च होंगे। जबकि इस काम के लिए प्राइवेट क्लिनिक में 10-15 हजार रुपए तक चार्ज किए जाते हैं। इतना ही नहीं, एक दांत के लिए प्राइवेट क्लिनिक में 3-4 सौ रुपए लगते हैं, जबकि रिम्स में एक दांत केवल 30 रुपए में बनेगा

ओपीडी में रोज 150 से ज्यादा मरीज

डेंटिस्ट्स की मानें तो बुजुर्ग के साथ मिडिल एज ग्रुप के लोग भी दांत टूटने की समस्या लेकर रिम्स में आते हैं। इसके अलावा दांतों की सड़न और पायरिया से भी ग्रसित लोग इलाज के लिए आते हैं। ऐसे मरीजों की संख्या 150 से अधिक है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लैब के चालू हो जाने से इन मरीजों को बड़ी राहत मिल जाएगी।

लैब बनकर तैयार है। दांत बनाने के लिए एक केमिकल जरूरी है। जिसकी खरीदारी के लिए डिपार्टमेंट के हेड ने प्रबंधन को लिखा है। वैसे हमने उन्हें खुद से भी केमिकल खरीदने को कहा है चूंकि उसकी कीमत ज्यादा नहीं है ताकि दांत बनाने का काम जल्दी शुरू हो जाएगा।

डॉ। पंकज गोयल, प्रिंसिपल, डेंटल कॉलेज

Posted By: Inextlive