देश के वित्‍त मंत्री अरुण जेटली अपने पहले पूर्ण बजट की तैयारी में इन दिनों लगे हैं. ऐसे में उन्‍होंने इस बात की घोषण की है कि राजग सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कर की दरें ऊंची नहीं करना चाहती है. उनका मानना है कि दरें ऊंची करने की जगह विदेशी निवेश कराना बड़ा मुद्दा है.

पारदर्शी बनाने का वादा किया
वित्त मंत्री ने कहा कि शुरू में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लोक व्यय बढ़ाना जरूरी है क्योंकि पिछली संप्रग सरकार के समय इसका बड़ा नुकसान हो चुका है. जेटली के मुताबिक सरकार चाहेगी की देश की जनता की जेब में ज्यादा पैसा बचे. जिससे कि लोग खर्च करें. ऐसे में जब वे खर्च करेंगे तो उत्पादन बढ़ेगा और पूरे देश का फायदा होगा. इसके साथ ही देश में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन भी मिलेगा. उन्होंने बजट की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाने का वादा किया है. सरकार की पूरी कोशिश है कि जनता को वित्तीय स्थिति की सारी जानकारी मिलती रहे. हालांकि उन्होंने यह भी साफ कहा कि राजस्व बढ़ाने के लक्ष्य के लिए ऊंची दर से कर लगाना ही एकमात्र रास्ता नहीं है और हम यह रास्ता नहीं पकड़ेंगे.

विदेशी निवेश कराने की जरूरत
जेटली ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज दुनिया में निवेशकों के सामने तमाम विकल्प खुले हैं. ऐसे में अब वक्त है जब भारत में विदेशी निवेश कराने की जरूरत है. ऐसे में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक ऐसी कर प्रणाली की जरूरत है जो प्रतिस्पर्धी, आक्रामकता से मुक्त और संतुलित हो. जेटली से जब पूछा गया कि देश में आयकर दाताओं की संख्या मौजूदा 3.5 करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ तक ले जाना संभव है. इस पर उन्होंने कहा कि जब जनता पैसा खर्च करेगी तो देश मे उत्पादन बढ़ेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जेटली अपना पहला पूर्ण बजट अगले महीने लोकसभा में पेश करेंगे. उनकी सरकार ने पिछले साल के बजट में आयकर छूट की सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दी थी.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh