-विभाग के प्रयास के बाद भी बच्चों के पेट में पल रहे कीड़ों का नहीं हो रहा अंत

-जिले में 9.14 लाख के मुकाबले सिर्फ 8.17 लाख बच्चों को ही खिलायी गयी दवा

-दवा न खाने से बाधित होता है शारीरिक व बौद्धिक विकास

स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी बच्चों के पेट में पल रहे कीड़ों का अंत नहीं हो रहा है। बनारस में अभी भी करीब 97 हजार बच्चों के पेट में कीड़े डेरा जमाए हुए हैं। यह हम नहीं स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े कह रहे हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से बीते 10 अगस्त को कृमि मुक्ति दिवस पर एक अभियान चलाया गया था। बाद में इसकी आई रिपोर्ट के मुताबिक जिले के 8.17 लाख बच्चों को ही पेट के कीड़े मारने की दवा खिलायी गयी है, जबकि डिपार्टमेंट को जिले के कुल 9.14 लाख बच्चों को दवा खिलाने का टारगेट मिला था। यानि सिर्फ 89.46 फीसद बच्चों तक ही दवा पहुंच पाई। इन सब के बीच विभाग की दलील है कि जो बच्चे बीमार थे और पहले से कोई दवा ले रहे थे, उन्हें कीड़े की दवा नहीं खिलायी गयी थी।

क्या होता है दवा न खाने से?

जानकारों का कहना है कि बच्चों के पेट में पलने वाले कीड़े उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद हार्मफुल होते हैं। कृमि संक्रमण के वजह से बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास पर जबरदस्त असर पड़ता है। बच्चों में इस तरह की होने वाली समस्या को दूर करने के उद्देश्य से सरकार ने साल में दो बार 10 अगस्त और 10 फरवरी 2019 को अभियान चलाकर बच्चों को पेट के कीड़े की दवा (एल्बेंडाजाल-400 एमजी) खिलाने की योजना बनाई है। आगामी अभियान में एक से 19 साल के 100 प्रतिशत बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्र के बच्चें शामिल होंगे।

एल्बेंडाजाल गोली के फायदे

बच्चों को दी जाने वाली एल्बेंडाजाल ऐसी दवा है जिससे एनीमिया में कमी एवं पोषण स्तर में वृद्धि होने के साथ ही बच्चों के शारीरिक विकास, वजन बढ़ाने, मानसिक व शारीरिक विकास में बढ़ोतरी होने के साथ ही यह दवा अन्य बीमारियों से बचने के लिए बेहद फायदेमंद है। यही नहीं इससे प्रतिरोधी क्षमता, याददाश्त में वृद्धि होने के अलावा स्कूल में भी बच्चे एनर्जी से भरपूर रहते हैं।

8,17,907 बच्चों को मिली दवा

कृमि मुक्ति दिवस पर चले अभियान के दौरान जिले के सरकारी व प्राइवेट स्कूल के अलावा आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से कुल 9,14,311 बच्चों को पेट के कीड़े की दवा खिलायी जानी थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने स्कूल्स के नोडल अधिकारियों, आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया था। अभियान के दौरान टोटल 8,17,907 बच्चों को एल्बेंडाजाल दवा खिलायी गयी। अधिकारियों का कहना है कि 10 फरवरी को चलने वाले अभियान में हर बच्चे को दवा खिलायी जाएगी ताकि वह पेट के कीड़े की समस्या से मुक्ति पा सके।

76 फीसद बच्चे कृमि संक्रमित

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों में पेट के कीड़े के संक्रमण को विश्वव्यापी जन स्वास्थ्य समस्या माना है। इसके चलते जहां बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास बाधित होता है, वहीं उनके पोषण और हीमोग्लोबीन स्तर में भी प्रभाव पड़ता है। केन्द्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में एक से 19 साल के 76 प्रतिशत बच्चे कृमि संक्रमण के शिकार हैं।

एक नजर

9,14,311

बच्चों को खिलाना था एल्बेंडाजाल बनारस में

8,17,907

बच्चों को ही खिलाई गई दवा

4,04,040

लड़कियों ने खाई दवा

4,13,867

लड़कों ने खाई दवा

1,25,159

बच्चे एक से पांच साल के आंगनबाड़ी केन्द्रों में

9,9672

बच्चे एक से पांच साल के प्राइवेट स्कूल में हैं

1,12,347

बच्चे 6 से12 साल के सरकारी स्कूलों में हैं

1,18,407

बच्चे 6 से 12 साल के प्राइवेट स्कूलों में हैं

55,029

बच्चे 6 से 19 साल के स्कूल न जाने वाले

1551

जिले में सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल

684

प्राइवेट स्कूल हैं

3,914

आंगनबाड़ी केंद्र

स्वास्थ्य विभाग बच्चों के हेल्थ को लेकर गंभीर है। अलग-अलग कारणों से जिन बच्चों को दवा नहीं दी गई, उन्हें अगले अभियान में कवर किया जाएगा।

डॉ। एके गुप्ता, नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय बाल एवं किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम

Posted By: Inextlive