-बस, ई रिक्शा व ऑटो पर जमकर हो रहा फ्री में प्रचार

-नियमों से बंधा नगर निगम नहीं कर पा रहा कार्रवाई

जमाना प्रचार का है, कहा जाता है कि जो दिखता है वो बिकता है। इसलिए हर कोई जिसे किसी तरह का लाभ लेना है ताबड़तोड़ प्रचार कर रहा है। जहां जगह मिल रही वहीं अपना बैनर-पोस्टर लगा दे रहा है। शहर की सुंदरता को बनाए रखने के लिए प्रचार करने के नियम बनाए गए हैं। इसके तहत शहर में किसी तरह का प्रचार करने के लिए नगर निगम से परमीशन लेनी होती और बदले में फीस चुकानी पड़ती है। लेकिन कंपनियां और लोकल कारोबारियों ने विज्ञापन का नया रास्ता निकाल लिया है। वो भी बगैर पैसे खर्च किए। वो ऑटो रिक्शा, ई रिक्शा या बस के जरिए प्रचार करते हैं।

विज्ञापनों से पटी हैं वाहन

शहर में हजारों ई रिक्शा, ऑटो रिक्शा और बसें चल रही है। लगभग सभी पर विज्ञापन वाले स्टीकर लगे हुए हैं। मगर अफसोस की नगर निगम में किसी भी विज्ञापन एजेंसियों व कंपनियों का न तो रजिस्ट्रेशन कराया कराया गया है और न ही इससे कोई टैक्स लिया जा रहा है। जबकि वाहनों पर हो रहे विज्ञापनों के जरिए कंपनियां लाखों-करोड़ों रुपए कमा रही हैं।

नहीं है कोई नियम

नगर निगम के विज्ञापन विभाग में शहर में होर्डिग व बैनर के माध्यम से होने वाले प्रचार के लिए लिए रजिस्ट्रेशन कराने व टैक्स वसूलने पर तो ध्यान है, लेकिन वाहनों से होने वाले विज्ञापनों पर नहीं। अधिकारियों का कहना हैं कि पोस्टर बैनर पर तो रजिस्ट्रेशन का प्रावधान है, लेकिन वाहनों पर स्टीकर या फ्लैक्स के माध्यम से होने वाले विज्ञापनों के लिए कोई नियम नहीं बनाया गया है। इसलिए निगम चाहकर भी उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले सकता।

पॉलिटिकल प्रचार भी

ऐसा नहंी हैं कि वाहनों पर फ्री में होने वाले विज्ञापनों का लाभ सिर्फ कमर्शियल हो रहा है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों ने भी पब्लिक तक अपनी पहुंच बढ़ाने और योजनाओं को पहुंचाने के लिए इन्हीं ऑटो और ई रिक्शा वाले विज्ञापनों का सहारा लिया था। हालंाकि चुनाव संपन्न हुए पांच माह बीत चुके है, लेकिन इन वाहनों से अभी तक इन विज्ञापनों को हटाया नहीं गया है।

Posted By: Inextlive