Meerut : रोडीज में अपनी बाइक और तेवर से चौंकाने वाले सहारनपुर के आशूतोष ने मेरठ में आईनेक्स्ट के लिए साइकिल चलाकर मेरठियों को भी चौंका दिया. उसके बाद अपनी बचपन की यादों में झांककर साइकिल से जुड़ी बातों को आई नेक्स्ट से शेयर किया. आइए आपको भी बतातें हैं कि इस ‘बॉस’ ने बचपन में साइकिल से कितने ‘बिग’ कारनामें किए...


साइकिल चलाने में शर्म कैसी ‘मुझे नहीं पता था कि आई नेक्स्ट हर साल बाइकाथन कराता है। ये बहुत अच्छी बात है कि साइकिल को प्रमोट किया जा रहा है। साइकलिंग बहुत ही अच्छी चीज है। मैं भी बाइकाथन में आना पसंद करूंगा। अगर मैं बाइकाथन के दिन फ्री रहा तो मेरठ जरूर आऊंगा। मुझे इस तरह के एक्टिविटी बहुत पसंद है.’ साइकलिंग को प्रमोट करने के लिए आई नेक्टस के बाइकाथन का जब बिगबॉस-2 और रोडीज के विजेता देसी ब्वॉय आशुतोष कौशिक को पता चला तो उन्होंने इसी अंदाज में खुशी जताई।पिताजी ने दिलाई पहली साइकल


मुझे साइकलिंग बहुत पसंद है। अब भी मुझे कभी टाइम मिलता है तो मैं साइकिल लेकर निकल पड़ता हूं। ज्यादा दूरी तो नहीं, लेकिन जब मुंबई में होता हूं और रात के समय कोई काम होता है तो साइकिल से ही आना जाना पसंद करता हूं। मुझे याद है जब मैं छोटा था तब पिताजी ने मुझे पहली साइकिल दिलवाई थी। कीमत तो याद नहीं लेकिन उसका रंग काला था। मैंने वो साइकिल बहुत दिन चलाई।दूसरी साइकल में 1500 मैंने दिए

इसके बाद जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो पिताजी से नई साइकिल की डिमांड की। तो पिताजी ने हीरो की साइकिल दिलवाई। उन दिनों शौकर वाली साइकिल नई आई थी। मुझे भी शौकर वाली साइकिल का क्रेज चढ़ा। पिताजी से फरमाइश रखी कि मैं अपने पैसों से शौकर वाली साइकिल खरीदूंगा। मुझे याद है वो साइकिल करीब 3200 रुपए की आई थी। जिसमें से 1500 रुपए मैंने अपनी गुल्लक में से दिए थे। मैं साइकलिंग पसंद करता हूं। जब तक सहारनपुर में रहा तब तक 90 परसेंट काम साइकिल से ही करता था।विदेश में सब चलाते हैंउस टाइम मेरे हालात भी बहुत अच्छे नहीं थे, मजबूरी का नाम भी साइकिल ही था। लेकिन अब लगता है कि साइकिल चलाना कितना अच्छा था। लाइफ ऐसी ही होती है। जब साइकिल थी तो वो बुरी लगती है। अब कारें है तो साइकिल अच्छी लगती है। मेरे हिसाब से तो साइकलिंग से अच्छी कोई चीज है ही नहीं। हमारे देश में ही लोग साइकिल चलाने में शर्माते हैं, नहीं तो विदेशों में तो लोग साइकिल चलाना ही पसंद करते हैं।बीमारियों से बचाती है साइकल

अब तो डॉक्टर्स भी बीमारियों से बचने के लिए रोज कम से कम आधा घंटा साइकिल चलाने की सलाह देने लगे हैं। इसका रिपेयर और मेंटिनेंस भी इतना महंगा नहीं होता। साथ ही बाइक या कार में लगने वाला डीजल और पेट्रोल भी बच जाता है। यानि कि ‘हींग लगे ना फिटकरी रंग चोखा ही होय’।

Posted By: Inextlive