- देश भर में तीन करोड़ लोग हो चुके हैं अस्थमा के शिकार

- दमे को कम करने के लिए सबसे बेहतर उपाय है इनहेलर

- 01 मई को इस साल मनाया जाएगा व‌र्ल्ड अस्थमा डे

- 30 प्रतिशत मरीज ही करते हैं इनहेलर का इस्तेमाल

RANCHI (27 Apr) : रांची के पल्मोनोलॉजिस्ट मानते हैं कि सिटी में अस्थमा के मरीज बढ़े हैं। देश भर में तीन करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। चूंकि, डब्ल्यूएचओ ने सिटी को फोकस कर इस बीमारी को लेकर कोई आंकड़ा जारी नहीं किया है, इसलिए वास्तविक संख्या का अभी सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है। इसके बावजूद पिछले दस सालों से जो ट्रेंड देखा जा रहा है, उसके अनुसार सिटी में धूल-कण और धुएं के कारण होने वाले प्रदूषण से अस्थमा के मरीज बढ़ गये हैं। इसकी मुख्य वजह वाहनों का बढ़ना तो है ही, साथ ही साथ घरों में जलने वाली मच्छर अगरबत्ती भी इसकी बड़ी कारक है। ऑर्किड हॉस्पिटल के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ श्यामल सरकार ने बताया कि इस बीमारी का सबसे सफल इलाज है इनहेलर। इसे लंबे समय तक लेते रहने से भी कोई समस्या नहीं। इसके साइड इफेक्ट भी न के बराबर ही हैं, क्योंकि इसमें एस्टोराइड की मात्रा केवल नाम मात्र की होती है। हिल व्यू हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार ने बताया कि इस बीमारी को पहले लोग केवल बड़ों का रोग मानते थे। यह एकदम गलत अवधारणा है। दरअसल, यह बीमारी बच्चों को भी हो सकती है। इसलिए गार्जियंस सतर्क रहें, ताकि उनके बच्चों को आगे चलकर कोई परेशानी न हो।

-------------------

1970 तक इस बीमारी को टीबी से जोड़ कर देखा जाता था। यह एकदम गलत है। दमा का टीबी से कोई वास्ता नहीं।

-------------------

इन चीजों से हो सकता है अस्थमा

1. घर के दरवाजे और खिड़कियों में मोटा पर्दा।

2. धूप बत्ती या मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती।

3. गाडि़यों का धुआं, मैदान या घर में धूल।

4. घर पर कॉकरोच का ज्यादा होना।

5. पालतू जानवर, जैसे कुत्ते, बिल्ली, मुर्गी, कबूतर आदि।

6. पटाखों का धुआं।

7. सिगरेट, बीड़ी आदि के सेवन करने वालों से।

--------------------

किस आयु के कितने फीसदी मरीज

50 फीसदी - बच्चे

25 फीसदी - एडल्ट

25 फीसदी - बुजुर्ग

--------------------

ऐसे शुरू हुआ इलाज

1950 के दशक में कॉर्टिसन नाम के नेचुरल स्टेरॉयड का प्रयोग अस्थमा के इलाज के लिए किया जाने लगा। 1956 में एमडीआई (मीटर्ड डोज इनहेलर) का प्रयोग शुरू किया गया। इससे अस्थमा के इलाज में एक मेडिकल क्रांति आई। इस डिवाइस से दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचाई जाती थी, जिससे मरीजों को तुरंत आराम मिलता है।

-----------------------

डॉक्टरों का कोट

इनहेलर अगर जीवन भर लेना पड़े, तो मरीजों को लेना चाहिए। इससे कोई परेशानी नहीं होगी। लोग पहले साइड इफेक्ट के बारे में सोचते हैं, जबकि उन्हें इसके इफेक्ट के बारे में सोचना चाहिए।

डॉ श्यामल सरकार

-------------------

रांची में हर तरह की आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। इस मर्ज से लड़ने के लिए सबसे पहले भ्रांतियों को दूर करना होगा। सही मात्रा में इनहेलर लेते रहने से किसी तरह की तकलीफ नहीं होगी।

डॉ राजेश कुमार

Posted By: Inextlive