यह बात तो शत प्रतिशत है कि ये जीवन बेशकीमती है। इसकी कीमत आंक पाना मुश्‍िकल है। बावजूद इसके कई बार लोग अपने जीवन को बिना किसी उद्देश्‍य के व्‍यर्थ में गवां देते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि इस बात की जानकारी होने के बाद भी कि किसी पल का कोई भरोसा नहीं फिर भी लोग भविष्‍य के बारे में हरपल सोचकर परेशान रहते हैं। ऐसे में अगर जीवन को सच्‍चे अर्थों में जीना चाहते हैं तो इन खास बातों का अनुसरण बेहद जरूरी है...


हर पल सवेरा: मनुष्य जीवन का आनंद पाने के लिए वह सुख के साधन एकत्रित करने में ही अपना आधे से ज्यादा समय बिता देते हैं, लेकिन एक बात हमेशा याद रखें कि जीवन में कभी इस बात का अहसास न करें कि अब बहुत देर हो गई है। अब कुछ नहीं हो सकता है। जब जागो तभी सवेरा वाली स्िथति जीवन को आनंदमय बनाती है। द्वंद से दूर रहकर: जीवन के आखिरी क्षण तक हर एक चीज की संभावना बनी रहती है। लोग सदा आपसी द्वंद में जीते हैं। एक दूसरे से आगे निकलने में यह भी भूल जाते है इस जीवन में हकीकत में जाना कहां है। ऐसे में सहीं मायने में वहीं जीवन का आनंद ले पाते हैं जो इसके प्रति चेत जाते हैं। वहीं सच्चिदानंद के सच्चे अधिकारी बन जाते हैं।स्वयं प्रेम का स्त्रोत:
मनुष्य में पीड़ाओं की असली जड़ अपने जीवन में हमेशा केंद्रित रहना भी है। लोग दूसरों से प्रेम और आनंद प्राप्ति की उम्मीद लगाए रहते हैं। जब कि इस बात का तनिक भी ज्ञान नहीं होता है कि दूसरों की बजाय प्रेम और आनंद का स्त्रोत उनके स्वयं के पास होता है। ऐसे में यदि वह खुद पर ध्यान दे तो प्रभु के पास हंसते हुए जाते हैं।महत्वाकांक्षाएं पूरी हों: अक्सर यह मनुष्य का स्वभाव बन जाता है कि वे ऐसी संगति खोजते हैं जिससे उनके जीवन की महत्वाकांक्षाएं आसानी से पूरी हो सकें। इसके अलावा उनके जीवन की कामनाओं को भी भड़काएं। जबकि हकीकत में उसे उन लोगों का साथ तलाशना चाहिए जो जिनके साथ से वे ईश्वर तक जाने का बेहतर रास्ता आसानी से तलाश सकें।परम तृप्ति महसूस: यदि मनुष्य में किसी भी मोड़ यह भावना संकल्प रूप में जाग्रत हो जाए कि जीवन का जो उद्देश्य है वह उसे हासिल करना है। इस पर एक उन्हें परम तृप्ति महसूस होती है। इसके साथ ही मनुष्य प्रभु तक जाने और परिपूर्ण आनंदित होकर जीने लगते हैं। जिन मनुष्यों की मंजिल परमात्मा है वे बिना किसी रुकावट के परमात्मा तक चले जाते हैं।

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Posted By: Shweta Mishra